मेरा दिल कोई भंवरा नही है वरना हम भी, रोज एक नए फूल के हकदार होते। दिलों के बाजार में जाते, वफाओं के व्यापार होते। वो कहते हैं हमे भूल जाओ खैर उन्हे कहा मालूम गर भूल जाना इतना ही आसां होता। तो मेरे भी सनम हजार होते।
मै बेवफा नही हूं माही गमों के समंदर में इतना डूब चुके थे तुम तुमने देखा ही कहां गौर से मेरे ही लब्जों पर शब्द थे किसी और के। शायद यकीं हो जाये तुम्हे मेरे इस जहां से जाने के बाद।
एक दौर वो था जब फेरे हो जाने पर पता चलता था कि मेरा जीवन साथी कैसा है? फिर भी नि:संदेह जीवन भर रिश्ता कायम रहता था। एक दौर ये है आज हर प्रकार के जाँच पड़ताल,मिल मिलाप के बाद हुआ विवाह चंद सालों मे तलाक तक आ जाता है। समझ ही नही आता कसूर किसका है? हमारा या फिर जमाने का!