NITESH RAWAL   (Heartbeat_the_earth)
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Joined 30 November 2019


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Joined 30 November 2019
2 SEP 2021 AT 23:21

हिज़ाब में अपना ये चेहरा छुपाना छोड़ दो
मुझसे मिलना हो तो ये बहाने बनाना छोड़ दो

कब तक दरमियाँ रखोगे नितेश फ़ासलों को
दिल मे लगी ये आग को तुम बुझाना छोड़ दो

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2 SEP 2021 AT 23:21

हिज़ाब में अपना ये चेहरा छुपाना छोड़ दो
मुझसे मिलना हो तो ये बहाने बनाना छोड़ दो

कब तक दरमियाँ रखोगे नितेश फ़ासलों को
दिल मे लगी ये आंग को तुम बुझाना छोड़ दो

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31 AUG 2021 AT 13:32

बिखरता रहा आशियाँ मेरी आँखों के सामने
चला न जोर कोई खुदा की बातों के सामने

बर्बाद तो होनी ही थी हस्ती एक रोज़ मेरी
दर्द सुनाया मैंने भी बहरे कानों के सामने

सब कुछ खो कर कुछ ऐसा लगा मुझको की
मैं आ गया हूँ लौटकर गहरी रातों के सामने

उजड़ी हुई ज़िन्दगी शायद इसी को कहते हैं
पड़े हुए थे कुछ शख़्स मयखानों के सामने

बिखर गए हौसलें उन गद्दारों के भी नितेश
ग़लती से जब वो आ गए जवानों के सामने

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30 AUG 2021 AT 10:04

जन्म लेते ही विधाता ने क्या लीला दिखाई
टूट गए जेल के ताले जब प्रगटे कृष्ण कन्हाई

सुध बुध भूली गोपियन, राधा भी दौड़ी आई
वृन्दावन आंगन में जब कान्हा ने बंसी बजाई

त्राहि त्राहि जब मचा कंस के अत्यचार से
करके वध कंस का जन की खुशियां लौटाई

कर्म पथ पर आगे बढ़,दिया अर्जुन को ज्ञान
अधर्म का करने नाश ,धर्म की लड़ी लड़ाई

हर पद का रखा मान, चाहे कष्ट सहे हज़ार
कर्म से महान बने इंसा, कृष्ण ने बात बताई

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30 AUG 2021 AT 6:43

कब तक बहे कान्हा इन नैनों से आंसू
इन अधरों की लाली अब सुख रही हैं

जीने की कोई वजह नज़र नहीं आती
इस ज़िस्म से जान अब छूट रही हैं

ज़िंदगी तबाह कर ली तेरे मोह में कान्हा
मेरी सांसे ही मुझसे अब छूट रही हैं

मिलन की कोई वज़ह नज़र नही आती
मेरी किस्मत मुझसे अब रुठ रही हैं

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28 AUG 2021 AT 23:38

1222 1222 1222 122
जरा सी रोशनी से ज़िन्दगी को जगमगा दे
मिरे साथी जरा नज़दीक आ कर अब वफ़ा दे

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28 AUG 2021 AT 18:37

कैसे बताये लोगों को पता अपने मक़ाम का
रहा न जो शख्स नितेश अब किसी काम का

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28 AUG 2021 AT 17:14

कलम का सूरज अब निकलना चाहिए
काले बादलों का साया पिघलना चाहिए

कब तक चापलूसी लिखेगी ये कलम
अब क़लम की तहरीर बदलना चाहिए

बात इतनी ख़री लिखी हो क़लम से
पढ़ने वाला हर शख़्स ठहरना चाहिए

बहे सत्य की धार जब इस क़लम से
हर बुरे शख़्स का दिल दहलना चाहिए

बनाये रख "नितेश" वज़ूद क़लम का
तेरी क़लम शोहरतो से चमकना चाहिए

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27 AUG 2021 AT 23:14

बारिश में भीगोगे जब कभी तुम मेरे संग में
आसमां भी सजेगा कौस-ए-कुज़ह के रंग में

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27 AUG 2021 AT 17:35

122 122 122 122
हमारी तरह तुम मिलो हर बशर से
शहद से लगे लोग जो थे जहर से

चढ़ा है नशा आजकल गांव पर भी
नया दौर आया यहां भी शहर से

सजी है लबों पर बहुत सी ग़ज़ल अब
मिली रोशनी ये ग़ज़ल को बहर से

न जाने मुझें कौन है याद करता
मुझें हिचकियां आ रही है सहर से

हवा दे रही है हवा प्यार को अब
बचा लो खुदा प्यार के इस कहर से

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