NITESH RAWAL   (Nit की कलम✍)
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Joined 5 January 2019


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Joined 5 January 2019
3 MAY 2021 AT 9:39

212 212 212 212
हर किसी में नज़र वो ही आने लगा
देख कर दिल उसे मुस्कुराने लगा

दिल दिया था जिसे दिल्लगी के लिए
हौसलें दिल के वो आज़माने लगा

थाम कर हाथ मेरा चला था कभी
गैर को ज़िंदगी में बसाने लगा

इक दफ़ा कर बया गलतियां तू मेरी
क्या वज़ह थी कि तू दूर जाने लगा

रास ना थी जिसे आँख आंसू भरी
ज़ुल्म करके वही अब सताने लगा

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23 APR 2021 AT 20:46

देर से ही सही मगर
वक़्त हिसाब मांगता है

सफ़लता उसे है मिलती
जो उसके लिये भागता है

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23 APR 2021 AT 9:02

2122 1212 22

जानते हो अगर बता दो ना
इश्क़ के दर्द की दवा दो ना

क्यों छुपाते हो राज़ दिल के तुम
राज़ दिल के सभी जता दो ना

बेजुबां ना रहो, कुछ तो कहो
हो खफ़ा हमसे , सज़ा दो ना

था जिक्र बस उसी का हर एक पल
खैर उस बात को भुला दो ना

फिर सुलग जायेंगे बुझें अरमाँ
इक दफ़ा उनकों हवा दो ना

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19 APR 2021 AT 9:32

हाथ मे अगर आ जाये शराब
तो रास न आये फिर कोई शबाब

इश्क़ की राह में सजे जो ख्वाब
तो जिन्दगी लगे फिर लाजवाब

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19 APR 2021 AT 9:12

कौन शख्स आता है आखिर जहाँ में मरने के लिये
बस कोई साथ ही नहीं मिलता साथ चलने के लिये

जो चाहता है हर एक शख्स के लबों पर हंसी लाना
बस फक़त रह जाते है आंखो मे आंसू बहने के लिये

जब तक न भरे दिल लोग करते हैं यहां दिन भर बातें
भर जाये दिल तो मिलते नहीं कुछ शब्द कहने के लिये

कहने को तो लोगो से भरी पड़ी हैं ये दुनियां "नितेश"
पर मिलता नहीं कोई शख्स बस साथ रहने के लिये

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19 APR 2021 AT 9:01

इश्क़ करके हर कोई परेशां हो गया
दिल का दर्द जैसे आसमाँ हो गया

टूटकर चाहने लगे थे जिस शख्स को
गैर की चाहत में वो बेवफ़ा हो गया

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19 APR 2021 AT 8:59

इश्क़ करके देखा, ठहर कर भी देखा
किया संघर्ष और संवर कर भी देखा

मांगा दुआओं में पर वो शख्स न मिला
उसके लिये कई दफा मर कर भी देखा

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16 APR 2021 AT 21:00

शाम का दामन थाम के
बैठ जाओं कहीं आराम से

पल भर का सुकून है जरुरी
दूर रहो थोड़े दिन काम से

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25 OCT 2019 AT 12:38


दीपक के मानिंद ए nit
ज़माने को रोशन कर दो

बन चराग़ किसी अनाथ का
उसका जीवन खुशियों से भर दो

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16 APR 2021 AT 14:13

2122 2122 2122

आंग सा किरदार मेरा जानते हो
फिर दुआओं में हमें क्यों मांगते हो

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