बारिश की
इन हल्की फुहारों से
कभी छतरी छोड़ ज़रा तुम
उनसे मिलना..
ये जो बूंदें हैं वो तुमसे मिलने
बड़ी दूर से आये हैं..
थोड़ा भीग लेना तुम इनसे
मिल के..
बड़े मुश्किल से
तुम्हें अपने प्यार में भिगोने
ये तेरे शहर में
आये हैं...
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कौन है अपना कौन पराया ये समझ मुझे नहीं आती
अक्सर वही चुरा लेते हैं
मुस्कान चेहरे की
जिनसे उम्मीद जुड़ी हो
मुस्कुराने की...-
मेरे पास
अभी फुर्सत ही फुर्सत है
झूठे बहाने
नहीं आते मुझे दुनिया को
दिखाने को..
दिन के 24 घंटों में कुछ
चंद पल भी
न निकाल पाऊं ऐसा तो
नहीं है..
मैं आने की कोशिश करुंगा
मगर तुम हमें
कभी बुलाओ तो सही
कुछ नहीं तो
चाय के बहाने ही
सही..-
माना लापरवाह हूँ
मैं ख़ुद के लिए मगर परवाह
है इस दिल में मुझे
सब के लिए...-
बहुत खूबसूरत है
वो एक दिल का रिश्ता
जिस रिश्ते में
किसी एक ने बंधनों में
कभी किसी को
बांधा नहीं
वहीं दूसरे ने खुद का
साथ उससे
कभी छूटने दिया
नहीं...
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रहने दे उधार एक मुलाक़ात यूं ही तू
मैंने लोगों को बातें करते सुना है
लोग उन्हें भूल नहीं पाते और अक्सर
बातें आ जाती है जुबां पर उनकी
जिनकी उधार बाकी रह गई हो...
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जिन्दगी जीने के लिए पैसे की जरूरत बड़ी अहमियत रखती है मगर जिंदगी ख़ुशी से जीने के लिए एक सच्चे हमसफ़र की जरूरत कहीं ज़्यादा अहमियत रखती है...
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ढलती हुई
शाम की उदासी के बीच
मन में उठती
अनगिनत ही यादों का
मेला है..
इस शहर में भीड़ तो
बहुत है
मगर एक तुझ बिन
मेरा ये मन
मानो बिलकुल ही
अकेला है...-
नहीं मालूम
वजह क्या रही होगी
जो बताया गया मुझे हर दफा
मुझे यकीन है
वो वजह तो बिलकुल भी
नहीं रही होगी...-
लोग पूछते हैं
अक्सर मुझसे कौन हैं वो ?
नहीं मालूम
जिसे जान ना पाया मैं अब तक
कैसे बताऊं मैं सबको
कौन हैं वो...-