Nitesh Jaiswal  
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Shayer l Content writer I Lyricists
Joined 28 February 2017


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Joined 28 February 2017
17 APR 2019 AT 22:55


कब्रिस्तान ...गुलाब ...चादर ... वो

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1 JUL 2020 AT 16:11

हिंदू-मुस्लिम लाल-हरा सब शर्मिंदा थे जातिवाद
मानवता की जान बचाने निकले जब दीवाने लोग

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26 MAY 2020 AT 21:04

Meter - 2222 2222 2222 2221

दिल के दर पर दस्तक देते जाने कितने सारे लोग
कोई यादों में घुटते हैं, कोई गम के मारे लोग

अब जूतों के नोक तले हैं - थे आंखों के तारे लोग
मतलब की दुनिया में मतलब, मतलब से हैं सारे लोग

ग़ुरबत की वह गूंगी चीखें, कांसा खाली, गीले गाल
कितने सुंदर, कितने भोले, मरते देखे प्यारे लोग

कितना मुश्किल है समझाना सब की मंजिल तू है - मौत
अपना रस्ता अपनी मंजिल बेख़ुद हैं बेगाने लोग

ठोर-ठिकाने दौ दिन के सब, दौ दिन की ही दुनिया है
जाते-जाते सब ने जाना सारे हैं, बंजारे लोग

दुश्मन की बाहों में जाकर उसको मेरी आई याद
धीरे-धीरे हमने जाना बेबस है, बेचारे लोग

ख़त क्यों भीगा है काजल से जानी हमने पूरी बात
देरी कर दी कुछ कहने में, कुछ सुनने में हारे लोग

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24 MAY 2020 AT 4:08

2222 2222 2222 2221
दिल के दर पर दस्तक देते, जाने कितने सारे लोग
कोई यादों में घुटते हैं, कोई गम के मारे लोग
अब जूतों के नोंक तले हैं, थे आंखों के तारे लोग
मतलब की दुनिया में मतलब, मतलब से हैं सारे लोग

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24 APR 2020 AT 13:47

Ghazal -
1222 1222 1222 1222

पयामे-वस्ल में ऐसे मिला कर भाव रखते हैं
कि जैसे मेघ जब प्यासी धरा पर पांव रखते हैं
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सितमगर ज़ुल्फ़ के बादल परे वो झांकती आंखें
हंसी मुस्कान के तीरो से दिल पर घाव रखते हैं
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न मानो तुम मेरे दिल की, ज़माने में ख़बर ये है
किसी मुस्कान पे पूरा लुटा कर गांव रखते हैं
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सभी बाज़ी मुहब्बत की, में यूं भी हार जाता हूं
इशारों ही इशारों में वो दिल पर दांव रखते हैं
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बिगड़ने के दिनों में बात करते हो सुधरने की
रवानी ही जवानी है, क्यों पत्थर पांव रखते हैं
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जज़ीरा है मोहब्बत इक, बहुत घूमो, बहुत भटको
समंदर के मुसाफ़िर हौसलों की नाव रखते हैं
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रकीबों की इनायत है, उसे में याद आता हूं
सुनो, ऐसे रकीबों से बहुत लगाव रखते हैं

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18 APR 2020 AT 23:29

हिज्र से जरा पहले
वस्ल के ठीक बाद ।
मुमताज सी तुम मल्लिका लगती,
मैं लगता अकबर का अकबराबाद ।
तुम गंगा सी पावन शालिनी,
मैं यमुना सा अल्हड़ आजाद।
आ कर मिलते प्रेम घाट पर
लगता संगम इलाहाबाद ।

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28 MAR 2020 AT 12:36

1222 1222 1222 1222
सफर में साथ रहने को सदाएं काम आती है
अगर जो राह में बिखरे दुआएं काम आती है
मगर हो इश्क की बाजी परखना हर बहारों को
चिरागों को बुझाने में हवाएं काम आती है
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जिताने को उसे अपना दिले-बर्बाद कर देते
मगर जज्बात आने में वफाएं काम आती है
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मुसीबत है सियासत इक न मानो तो मुहब्बत दो,
सियासत में, मुहब्बत में, लो राय काम आती है
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कसम खाते यहां सब है मगर कोई नहीं मरता
है पागल लोग कहते हैं बलाएं काम आती है
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समय आंसू वफादारी, दुआ धोखा सभी यारी
दवाएं हैं सभी मुमकिन दवाएं काम आती है
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किनारे तक सभी कश्ती सफर है जानती है सब
कदर हो सब हवाओं की हवाएं काम आती है
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तसल्ली को यहां सब दूध, घी, मक्खन, दही लाते
मगर मुद्दे बनाने में भी गाय काम आती है

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29 FEB 2020 AT 18:48

जलती गाडिय़ां,बरसते पत्थर,
माहौल मे कुछ नमीं सी है..
सियासत के प्रबल रूप मे,
अनुशासन कि कमी सी है ll
अमन एकता खाँ गए नेता,
ताडंव करता खौफ यहा..
जाने क्यु ईन इंसानौ मे,
इंसानियत कि कमी सी है ll

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18 NOV 2019 AT 11:32

मेरी हर होशियारी 🤔 को वो, कुछ यूं किनारा कर देती है🙄
एक आंख गिराकर 😉 जब वो, लड़की इशारा कर देती है🙈
दास्ता-ए-हश्र 🔥 है उसकी समन्दर सी आंखें 👁️
कि वो जुल्फ़ भी सवार लेती है तो नज़ारा कर देती है।। 😍😍

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29 OCT 2019 AT 15:40


दिन भर रोशन किया किसी महल को ,
घी के  दीपक से
तब जाके रात को तेल मे खाना बना ll

कोई जान से बडकर यहा रिवायत है
कोइ  भूख से बडकर यहा  इबादत है ll

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