जिसका मैं दे न सकूँ कहीं वो सवाल न हो जाए,
मरीज़-ए- इश्क कहीं इस दिल का हाल न हो जाए,
कुछ इस वजह से भी नहीं मिलता मैं,
देखते ही तुझे कही मेरे गालों का रंग लाल न हो जाए ||-
इश्क में चोट तो लगनी ही थी,
शीशे सा दिल मेरा और पत्थर से मोहब्बत कर बैठा ||-
दिल ने फिर याद किया इक वर्क सी लहराई है,
फिर कोई चोट मोहब्बत की उभर आई है||-
न दिल मे रखूँगा, न ख्यालों में रखूँगा,
जो मंज़िल तक न जाए, उन राहों में रखूँगा,
बस इक यही फैसला है मेरा कि,
मुझे जिसकी सज़ा मिलती रहे हमेशा,
तुझे उन गुनाहों में रखूँगा||-
कौन कहता है आंसुओं में भार नहीं होता,
एक बार रोकर देखो मन हलका न हो जाए तो कहना||-
वक्त ने फसाया है ऐसा और कोई इल्जाम नहीं,
हालातों से हार जाऊँ, मैं वो इन्सान नहीं ||-
तुम तो खुश किस्मत हो, जो तुम्हें हम मिले है,
वरना दुनिया में दर्द देने वाले, लोगों को थोड़े ही कम मिले है ||-
हमने उसको इतना देखा जितना देखा जा सकता था,
फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था ||-
Been in love is like investing in a stock market either you will be a billionaire or insolvent.
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