रोक युधिष्ठिर को न यहाँ,
जाने दे उनको स्वर्ग धीर,
पर, फिरा हमें गांडीव-गदा,
लौटा दे अर्जुन-भीम वीर।
कह दे शंकर से, आज करें
वे प्रलय-नृत्य फिर एक बार।
सारे भारत में गूँज उठे,
‘हर-हर-बम’ का फिर महोच्चार।
ले अँगड़ाई, उठ, हिले धरा,
कर निज विराट् स्वर में निनाद,
तू शैलराट! हुंकार भरे,
फट जाय कुहा, भागे प्रमाद।-
एक ग़ज़ल अधूरी छोड़ दी मैने।
मंजिल आंखों के सामने थी, पर अपनी कस्ती मोड़ दी मैने।
उसने कहा था ये मुमकिन नहीं, मैं तुम्हारे हाथो की लकीरों में नहीं, तुम अच्छे हो और मेरे बहुत अच्छे मोहब्बत हो,और फिर अपनी सारी अच्छाइयां छोड़ दी मैने ।
एक एक बुराइयां खुदमे जोड़ ली मैने। फिर खुद को इतना बेज़ार किया, मैने अपना बहुत नुकसान किया। मैने दिल को भी बहुत दर्द दिया।
फिर एक दिन खुद से ही ये सवाल किया जीने की ख्वाहिश किस खुशी में छोड़ दी तूने।
हां... कलम तोड़ दी मैंने।🖋️-
यही जीवन है....
जीने की कोशिश में रोज़ मरते है,कैसी लाचारी है
इंतेहा तो ये है, रोज़ जीना-मरना फिर भी जारी है।
कह दे जो दिल का हाल,शायद सुकून आ जाये,
पर किससे कहे ,यह प्रश्न लगता बड़ा भारी है।
सब अपने तो लगते है, पर अपना कोई नही,
ज़ख्मों पर नमक मलने की सबने की तैयारी है ।
नज़रे जो मिल जाये,तो नज़रे यूं फिरा लेते है,
जैसे उनकी हम पर कोई पुरानी उधारी है।
जीने की कोशिश में रोज़ मरते है,कैसी लाचारी है
इंतेहा तो ये है, रोज़ जीना-मरना फिर भी जारी है....
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एक रात एक बात लिखूंगा
तुझे मेरे साथ लिखूंगा
बड़ा सा चांद और ठंडी हवाएं
फिर तेरे हाथ में मेरा हाथ लिखूंगा
हकीकत में तू कभी मिलेगा नहीं
एक किताब में अपनी मुलाकात लिखूंगा
मेरी किताब में सब मेरी मर्जी का होगा
तू सो जाएगी जब मैं दिन को रात लिखूंगा
तू मेरा क्यू ना हो सका ये सवाल लिखूंगा
और तेरे दिल में मैं नहीं हूं तो क्या
मैं तेरा हूं ये मैं हर दिन हर रात लिखूंगा|-
स्त्री यदि बहन है प्यार का दर्पण हैं स्त्री अगर पत्नी है तो खुद का समर्पण हैं स्त्री अगर भाभी है तो भावनाओं का भंडार हैं
मामी मौसी बुआ है तो स्नेह का संस्कार हैं स्त्री अगर काकी हैं तो कर्त्तव्यों की साधना हैं। स्त्री साथी है तो सुख के सतत सम्भावना हैं।स्त्री अगर माँ हैं तो साक्षात परमात्मा हैं।-
बिन तुमसे बात हुए
"मेरे मन की खुशी क्या मेरी तस्वीर भी अच्छी नहीं आती है"
हाँ यार तुम्हारे बिन तो मुझे ये दुनिया ही धूँधली नज़र आती है-
गर्लफ्रेंड और सरकार यूँ ही नहीं बनती साहब,
तमाम झूठे वादे करने पड़ते हैं...!!-
"एक रात, एक बात लिखेंगे.. हर कोई पढ़ सके, इतना साफ लिखेंगे.. कोई जज्बात नहीं, अपने ही अरमान लिखेंगे.. हसीन-ए-आलम नहीं, अपने ही हालात लिखेंगे.. बहुत शिकायत है, हमें तुमसे-ऐ-ज़िंदगी.. अब तेरे बारे में भी, एक किताब लिखेंगे.. लिखते-लिखते, खत्म ना हो जाए ज़िंदगी.. एक ही शब्द में, पूरी कायनात लिखेंगे.."
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तुम्हे सुनना पसंद तो आज कोई गजल सुनाऊं ?
वरना यूं शायरी का शोक पाल कर क्या करना है...
तुम मेरे होना चाहो तो बताओ ?
वरना यूं अधूरा सफर करके क्या करना है...
तुम दे पाओ तोहफे में मुझे भरोसा तो बताओ ?
वरना यूं बड़े वादे करके क्या करना है...
तुम निकाल पाओ वक्त मेरे लिए तो बताओ ?
वरना यूं वक्त देकर क्या करना है...
तुम मुझे मना सको तो बताओ ?
वरना यूं तो मुझे रूठ कर क्या करना है...
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लो खरीद लो, अब इसकी कीमत कुछ भी नहीं है मेरे पास।
की जिसमें रखा था गुलाब हम वो किताब बेच आये।-