Nita Kaushik   (©नीता कौशिक)
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Joined 30 August 2017


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Joined 30 August 2017
22 JAN 2022 AT 0:26

बचपना जायज है एक उम्र तक!
फिर छोड़ना पड़ता है ...
समझदारी दिखाने के लिए!!

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14 SEP 2021 AT 10:56

'हिंदी दिवस' पर लिखने से बेहतर है 'हिंदी में लिखना सीखें' ...

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27 JUN 2021 AT 21:45

सारी खुशियाँ मिलने पर भी,
मैं बचा कर रखूंगी!
कुछ दुख तकलीफें मेरे हिस्से में...
आखिर उन्हीं से तसल्ली मिलती रहेगी!
मुझे मेरे जिंदा होने की...!!

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27 JUN 2021 AT 21:41

खुशियां कहीं बिकती नहीं, दिखती नहीं, बनती नहीं हैं!
इन्हें बस मन की माटी से ही उपजाना पड़ता है ...!!

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8 JUN 2021 AT 12:12

पर्याय नहीं विलोम हूँ मैं...

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8 JUN 2021 AT 12:09

हम कितनी बुद्धिमानी से मर रहे हैं!
हर पल, हर रोज अपनी खुशी से,
बिना खुद को समय दिए...
बिना एक पल भी बर्बाद किए !
क्योंकि हम भूल चुके हैं कि हम जिंदा हैं!!

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19 MAY 2021 AT 11:14

सब दौड़ में थे ....
और अचानक रास्ते खो गए !

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14 JAN 2021 AT 1:48

इँसान बनो..
दुआएँ मांगते चलो!

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14 NOV 2021 AT 10:17

बहती जा रही है...
उम्र एक दरिया सी !
मगर आज भी हम
बचपन वाली कश्ती में,
बैठना नहीं भूलते !!
बाल दिवस की शुभकामनाएँ।

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24 JUL 2021 AT 11:12

धरती कहती अंबर कहता मैं भी कहती यही तराना।
गुरु आप ही वो पावन नूर हैं जिनसे रोशन हुआ जमाना।।
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🌼🙏

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