माना उस वक़्त गलती उसकी नही थी
मगर कई बातें मेरी भी तो सही थी
वो थी तब तक बेशक़ परेशान रहा मैं
अब उसकी यादें परेशान कर रही थी-
प्रत्येक दु:खाला कशाला हवयं औषध
काही जखमा राहू देत तशाच
म्हणजे भूतकाळातील धडे आठवणीत राहतील
वरवरचं सुख बघतात रे सगळेच
पण ह्या खाणा-खुणा पाहून जरा
खरी परिस्थितीही कोणी समजून घेतील-
ज़िंदगी की भाग-दौड़ में सबका भार ढोते हुए
एक साया देखा है मैंने अंधेरे में अकेले रोते हुए-
मन की लहरों को थाम रखा है
के किसी ने नज़र भर देखा नहीं अभी
ए दिल मेरे तू इंतज़ार कर, सब्र कर
तेरा दिलबर ही तो मिला नहीं अभी-
मगर ये इश्क़ भी तुम्ही से सीखा
तुम अमावस के चाँद जैसी रही
और मैने तुम्हे रौशनी लिखा-
जान पहचान हो कर भी गुमनाम है सब
अच्छे कर्म करके भी बदनाम है सब
बाते सामने होकर भी
उनसे अनजान है सब
सब पता होकर भी,
ना जाने क्यों हैरान है सब?-
जो बिछड़े है भीड़ में बिछड़ जाने दो
कभी तो उनसे सामना होगा
जो कह रहें है अलविदा हमेशा के लिए
उनका भी ज़िंदगी में आना जाना होगा
तुम रोकना मत किसीको
उनकी मर्ज़ी के खिलाफ़
वो रहकर भी ना रहेंगे तुम्हारे
अपनो से ही मतभेद होंगे तुम्हारे
ज़िंदगी जीने से भी मुश्किल
उन अपनों को समझाना होगा
खुशियों का पता नहीं मगर
निराशा भरी ज़िंदगी को ढ़ोना होगा-
एक बार हमे मनाने का मौका तो दिया होता
तुमने जाने से पहले गर ये जान लिया होता
हम नाराज़ नहीं करते तुम्हे फिर कभी
काश थोड़ा भरोसा हम पर किया होता...-