निशुतोष   (Nishutosh)
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जीवन और दुनिया से सीखना लगातार जारी है...
Joined 11 July 2018


जीवन और दुनिया से सीखना लगातार जारी है...
Joined 11 July 2018
20 MAY 2022 AT 12:17

जिंदगी पर जितना शक करेंगे, जिंदगी हमें उतना ही तंग करेगी।
हंसती-खेलती जिंदगी में परेशानियों की वजह हम सब खुद ही हैं।
सब चिंताओं की जड़ हमारा खुद का दिमाग हैं।
इट्स ऑल इन द माइंड डियर...

इसलिए दिमाग को सही रखने के लिए...
सही भोजन (फ़ूड फ़ॉर माइंड) देना बहुत ही जरूरी हैं।

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7 DEC 2020 AT 22:38

इतना ज्ञान बिखरे होने के बावजूद अधिकांश लोग अपना तय लक्ष्य हासिल करना तो दूर, उसके पास तक नहीं फटक पाते। आखिर क्यों? कामायनी में जयशंकर प्रसाद लिखते हैं: ज्ञान दूर कुछ क्रिया भिन्न है, इच्छा क्यों पूरी हो मन की; एक दूसरे से मिल न सकें, यह विडम्बना है जीवन की। तो विफलता की एक वजह निश्चित रूप से ज्ञान और कर्म का फासला है।

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19 AUG 2020 AT 23:25

दिल से...

किसी अ'ज्ञानी ने कहा है कि हम अपने जीवन में चाहे जो बनें,
लेकिन सबसे पहले ज़रूरी है एक अच्छा इंसान बनना।
इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, जज, प्रोफेसर, आईएएस, आईपीएस सब कुछ एक बार बन गए
तो बन गए पर एक अच्छा इंसान बनने की प्रक्रिया पूरी ज़िंदगी चलती है।
यह एक सतत चलने वाला प्रयास है।

एक अच्छा आदमी ही एक अच्छा इंजीनियर बन सकता है,
अच्छा डॉक्टर बन सकता है, अच्छा वकील बन सकता है,
अच्छा जज बन सकता है।
इसलिए हमारा ये पूर्ण रूप से मानना है और अब इसे अपने जीवन में उतारते भी है कि
एक सफल और एक अच्छे आदमी में से किसी एक का चयन करना हो,
तो अच्छे आदमी का चयन करना चाहिए।

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14 JUL 2020 AT 18:09

हम एक स्वतंत्र देश में जी सकते हैं।
पर क्या हम अपने निजी जीवन में
सच्ची स्वतंत्रता से परिचित है।
मनुष्य वैज्ञानिक क्षेत्र में
भले ही काफी प्रगति कर चुका है
परन्तु नैतिक रूप से बहुत पिछड़े एवं मंद है।
विश्व भर में अधिकांश देश आज स्वतंत्र क्यों न हो
लेकिन खुद मनुष्य अब भी बंधनों में जकड़ा हुआ है।
भले ही मनुष्य बाहरी रूप से स्वतंत्र क्यों न हो
परन्तु अभी भी वह अपने स्वार्थ एवं इच्छाओं पर
विजयी पाने में असमर्थ है।

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13 JUL 2020 AT 18:36

आज हमारे चारों ओर बदलाव को देखा एवं महसूस किया जा सकता है।
लोग निरंतर कुछ नये और बेहतर पाने एवं करने के खोज में हैं।
कई देशों में कई प्रकार से क्रांति छाई हुई हैं।
पर इन सबके बावजूद हालात और भी ख़राब होते जा रहे हैं।
आज समाचार पत्र भुखमरी, बेरोजगारी, बलात्कार, हिंसा, युद्ध, विनाश और मौत की खबरों से भरा पड़ा है।
आखिर क्यों?

एक बार ठहर कर स्वयं विचार कीजिये, चिंतन कीजिये...

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14 JUN 2020 AT 9:38

राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नही है मंज़िले,
रास्ते आवाज़ देते हैं; सफर जारी रखो...

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7 MAY 2020 AT 22:04

मैं आपका प्यारा बुद्ध, आज आपसे बड़े दर्द के साथ अपने पर एक मेहरबानी करने का निवेदन करता हूँ। आपको मेरी बातें समझने में तकलीफ़ होती है या मानने में भारी लगती है, तो छोड़ो...! मेरी कोई ज़ोर जबर्दस्ती नहीं। ...पर सामने मेरी कुछ मर्यादा तो रखो। मेरी मूर्तियों को अपने ड्राइंग-रूम की सजावट का सामान तो मत बनाओ। मेरी विशालकाय मूर्तियां बनाकर मुझे तमाशे का सामान तो मत समझो। मैंने आप लोगों को ज्ञान देकर कोई गलती तो करी नहीं है। फिर यह सब करके किस बात का बदला आप लोग मुझसे ले रहे हैं? उम्मीद है कि इस बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आप यह तय करेंगे कि मेरे ज्ञान को दिल में बसा सकते हो तो ठीक, वरना मुझे तमाशे का सामान बनाकर मेरा मजाक तो नहीं ही उड़ाओगे।

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23 APR 2020 AT 14:54

किताबें करती हैं बातें
बीते जमानों की
दुनिया की, इंसानों की
आज की, कल की
एक-एक पल की
गमों की, फूलों की
बमों की, गनों की
जीत की, हार की
प्यार की, मार की
क्या तुम नहीं सुनोगे
इन किताबों की बातें ?
किताबें कुछ कहना चाहती हैं...
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं।

किताबों में चिड़िया चहचहाती हैं
किताबों में झरने गुनगुनाते हैं
परियों के किस्से सुनाते हैं
किताबों में रॉकेट का राज है
किताबों में साइंस की आवाज है
किताबों में ज्ञान की भरमार है
क्या तुम इस संसार में
नहीं जाना चाहोगे?
किताबें कुछ कहना चाहती हैं...
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं।
- सफदर हाशमी

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14 APR 2020 AT 17:43

सनातनी हिंदू विवाह पद्धति में विवाह एक पवित्र बंधन है। जन्मजन्मांतर का बंधन। सात जन्मों के लिए सात फेरे। बंध गए तो, बस बंध गए। ऐसा हजारों साल से चला आ रहा था। शादी सड़ रही हो, पति मार रहा हो, सारे जुल्म हो रहे हों, पार्टनर पसंद न हो, तो भी लटके रहो। छोड़ना मत। पवित्र बंधन है।
लेकिन राष्ट्र निर्माता बाबा साहेब ने इसे बदल दिया।

भारतीय पत्नियों के लिए बाबा साहेब ने बहुत कुछ बंदोबस्त किया था। गिनती कीजिए-
1. पत्नी को भी तलाक लेने का अधिकार।
2. पैतृक संपत्ति में बराबर का हक। बेटा-बेटी एक समान।
3. विवाह पवित्र बंधन नहीं, समझौता है। पर्मानेंट नहीं है, पसंद न हो तो निकल लीजिए।
4. गोद लेना है, तो पत्नी को फैसला लेने का बराबर का हक।
5. पहली बार मातृत्व अवकाश की व्यवस्था।
6. गुजारा भत्ते की व्यवस्था।
7. दहेज में मिली संपत्ति पर पत्नी का हक।
और भी है। हमे अभी इतना ही याद आ रहा है...

हिंदू कोड बिल में पहली बार यह व्यवस्था दी गई कि विवाह पवित्र बंधन नहीं,
एक समझौता है, जिसे तोड़ा जा सकता है। बाबा साहब ने इस बिल के पास न होने पर
कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। लेकिन देश का मानस उनके साथ था।
आखिरकार हिंदू कोड बिल अलग अलग कानूनों की शक्ल में पास हुआ।
इस तरह हिंदू विवाह में तलाक का प्रावधान आया। शादी जब सड़ने लगे
या कोई और वैध कारण हो तो अलग हो जाने की लोकतांत्रिक गैर-सनातनी व्यवस्था का प्रावधान।

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6 APR 2020 AT 12:25

हम जानते है कि नौ मिनट बत्ती बुझा देने का न कोई वैज्ञानिक आधार है, न ज्योतिषीय। लेकिन इसका जो मनोवैज्ञानिक आधार है, उसे कोई नकार नहीं सकता। कट्टर दुश्मन भी नहीं।
भारत की अधिकांश जनता मूल रूप से भावना प्रधान है। जो इस भावना को इस्तेमाल करने की विद्या सीख लेता है, वो जो चाहे कर सकता है, करा सकता है। मैनेजमेंट में पढ़ाया जाता है कि अच्छा मैनेजर वही होता है जो कंपनी के छोटे से छोटे कर्मचारी को ये अहसास दिलाने में कामयाब होता है कि कंपनी की ताकत वही है। ऐसा मैनेजर भले कर्मचारियों को कुछ देता नहीं, पर कर्मचारियों के लिए ये भाव ही बड़ा होता है कि उनके बिना कंपनी का वजूद नहीं।
हमारा यकीन कीजिए, आने वाले दिनों में ये राजनीति का एक अध्याय होगा कि कैसे हर किसी को ये अहसास दिलाया गया था कि तुम्हारा ताली बजाना और दीया जलाना ही तुम्हारा बहुत बड़ा योगदान है राष्ट्र निर्माण में।

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