Nishu Pandey☺😊   (Nishu)
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Joined 19 February 2021


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8 APR 2023 AT 20:25

nishu58543... Insta I'd follow me guys

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25 SEP 2022 AT 20:03

मैं जानती हूं कि हमारे जीवन में कोई ना कोई काम जरूर है हम सब बहुत ज्यादा बिजी हैं बहुत ज्यादा व्यस्त हैं .................caption m jrur padhiye.

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28 JUL 2022 AT 9:17

कण कण में हरि का नूर समाया
कण कण व्याप्त प्रभु की माया

कहीं स्वर्णिम आभा की लाली
कहीं घना तमस कहीं उजियाली

गगन मध्य सविता की लालिमा
हरती जग जीवन की कालिमा

संचरित रूप रंग गंध लिए वात
धारे प्रकृति अनुपमेय पुष्प पात

क्या ये न ब्रह्म शक्ति का संकेत
क्यों चेतन नर हो रहा है अचेत।

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25 JUL 2022 AT 8:55

राह चलते..................

राह चलते गिर भी जाऊँ फिर संभल जाती हूं।
टूट कर परिस्थितियों से भी बिखर न पाती हूं।।

हौसले की बुलन्द प्राचीरें हिल नहीं पातीं हैं।
दुःखों की आंधियां टकरा कर लौट जाती हैं।।

इरादों में है मजबूती ललक है आगे बढ़ने की।
मिलेंगी मंजिलें इच्छा है नया कुछ गढ़ने की।।

कर्म की खड्ग से मैं भाग्य रेखाएं बनाऊंगी ।
विवश व लाचार होकर शीश नहीं झुकाऊंगी ।।

फौलाद हूं मैं रगों में रक्त नहीं दौड़ता लावा है।
मिलती है कार्य में खुशी नहीं होता पछतावा है।।

मैं तो ऐसी पत्थर हूं जो छेनी हथोड़े सहती हूं।
निकले तन से रक्त स्वेद पर उफ न कहती हूं।।

अकर्मण्यता की जंजीरें बांध मुझे न पाती हैं।
उत्साह की नदियों को शिलाएं सह न पाती हैं।।

भर करके विविध रंग मैं किस्मत को सजाऊंगी ।
करें लोग अनुकरण मेरा मैं ऐसी राह बनाऊंगी ।।

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13 APR 2022 AT 14:50



आ चल फिरसे बच्चा बन जाते है।
अपनों के लिए सच्चा बन जाते है।

खेले उसी आँगन में क्यों न फिरसे।
छोड़ शहर अपने गाँव आ जाते है।

देख लिए बुराइयों का दलदल हमने।
चल देर ही सही अच्छा बन जाते है।

दिल में जो क्यों न कह दे एक दूजे से।
चल आ यारा अब अच्छा बन जाते है।

क्या करना यू तेरा मेरा करते करते।
चल हिसाब में थोड़ा कच्चा बन जाते है।

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5 APR 2022 AT 20:51

क्षणभंगुर जीवन........

क्षणभंगुर जीवन अपना, किसपर गर्व करे प्राणी।
किसका है स्थायित्व यहां,काया तो आनी जानी।।

कौंन आया साथ तुम्हारे, कौंन साथ में जाएगा।
सबका साथ मिला यहीं, छोड़ यहीं पर जाएगा।
जीते जी के रिश्ते सब, फिर बना क्यों अभिमानी।
किसका है स्थायित्व यहां,काया तो आनी जानी।।

जिनके पीछे दौड़ दौड़कर,जीवन तूने गंवा दिया।
निभा न सके संबंध वही, उनने तुझको भुला दिया।
निभा सका न रिश्ते हरि से,बना तू कैसा अज्ञानी।
किसका है स्थायित्व यहां,काया तो आनी जानी।।

मोह ममता का जाल बिछा,प्रभु ने मति जकड़ी।
सुत दारा कंकर पत्थर पा,रहती है बुद्धि अकड़ी।
जीवन का अस्तित्व भूल, हरि सत्ता न पहचानी।
किसका है स्थायित्व यहां,काया तो आनी जानी।।

अपने लिए पशु पक्षी जीते,प्रभु नाम को जपले।
सांसारिक भोग त्यागकर, गोविंद भक्ति में तपले।
तारणहार बनेंगे भव के, छोड़ दे अपनी मनमानी।
किसका है स्थायित्व यहां,काया तो आनी जानी।।

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20 MAR 2022 AT 9:12

रेगिस्तान भी हरे भरे हो जाते
जब हरि कृपा अमृत वर्षाते हैं
भर देते विविध वर्ण फूलों जैसे
कलियों को हँसाते मुस्काराते हैं

हिलोरें लेती हैं जीवन सरिताएं
निज पथ पै बढ़ी चली जाती हैं
रोक नहीं पातीं हैं भव बाधाएं
कृपा गोविन्द की मिल जाती हैं

हो अरमान पूरे खुशियां इतराती
भोर सी लालिमा तन भर जाती
प्रफुल्ल झंकृत होकर मन वीणा
भावी जीवन के मधु गीत गाती।

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24 JAN 2022 AT 23:22

*बरसने लगेगा सौहार्द रस*

बदलीं समय व परिस्थितियां
बदल गए हैं मानव के भाव
भाईचारा सौहार्द बदल गए
सभी ओर पाश्चात्य प्रभाव

जीवन के रंग ढंग बदल गए
बदला है लोगों का व्यवहार
नाते रिश्ते संबन्ध बदल गए
स्वार्थ वसीभूत बने व्यापार

जिजीविषा लगती बेईमानी
बाह्य दिखावा शोर सुहाना
नाम की खातिर हो बर्बादी
दौड़ रहे पर न दिखे मुहाना




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27 DEC 2021 AT 14:41

*हौसले कम नहीं होने देना*
हो जीवन आधार कन्हैया तुम्ही मात पिता गुरु मेरे
ब्रह्मज्योति की ज्योति हूँ मैं तुमसे हैं सबन्ध घनेरे।
जग दाता भाग्य विधाता मैं सेविका तुम स्वामी मेरे
मेरी हिय धड़कन स्पंदन में बसे हैं अंतर्यामी मेरे।
नारायण स्नेह पाकर ही जलती है जीवन की बाती
जब हरि कृपा बरसती खुशियों से झोली भर जाती।
किंकर मान खुद को हरि का भय मुक्त जीवन जीती
राग द्वेष से दूर सदा रह मैं माधव भक्ति का रस पीती।
हौसले कम न होने देना मेरे निज कर्तव्य से हट जाऊँ
अडिग रहें दृढ़ता संकल्प मैं नहीं सत्य से नट जाऊँ।।

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8 DEC 2021 AT 0:11

तू नहीं कायर
चाहे बिछे हों कंकर व पत्थर
चाहे बिछे हों पथभर में शूल
बढ़ते जाओ रे सतत बटोही
निज कर्तव्य नहीं जाना भूल।
चाहे मिलें तुम्हें गिरि कंदराएं
भले ही मिलें समतल मैदान
पुरुषार्थ का देना तू परिचय
समझ खार को भी पायदान।
बाहुबल पर है जिन्हें भरोसा
वे गहरे पानी में जाते हैं कूद
तल से भी मोती लेकर आते
सागर भी लगता है चंद बून्द।
फौलाद समझ निज काया
लहू न मान,है रगों में लावा
निश्चय मन्जिल को पाएगा
नरसिंह है तू नहीं अभागा।
अजर अमर है तेरी ज्योति
क्यों बुझ जाने का डर पाले
अटूट शक्ति के अजस्र स्रोत
तू नहीं कायर हे मतवाले।।

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