Nishu Kumari   (Unspoken Anjani)
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Anjani
Joined 19 September 2018


Anjani
Joined 19 September 2018
26 MAY 2021 AT 13:28

मेरी जिंदगी की,
एक छोटी सी कहानी है।
जिसपर किया भरोसा,
उसी ने की बेईमानी है।

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3 APR 2021 AT 20:55

किस बात का तुझको है
इतना गुरुर
इस शोहरत के नशे में
क्यों है इतना चूर
जब ठेका उसने दिया नहीं
फिर बन गया ठेकेदार क्यों?

वो नीच मैं ऊंच
वो गलत मैं सही
है मन में ऐसा भाव क्यों?
इंसान का इंसान के प्रति
है मन में इतना जहर क्यों?

बरसते उन बादलों ने
बहती हुई हवाओं ने
चमकते उस सूरज ने
क्या तुझसे कोई सवाल किया
फर्क नहीं किया उसने
फिर तूने क्यों फर्क किया?

जब ईश्वर - अल्लाह वहाँ
बैठकर तुझे देखा करते होंगे
अक्सर ही इस बात पर वो
चर्चा करते होंगे।
इंसान ही तो भेजा था
हैवान कैसे हो गया।
जात धर्म के चक्कर में
इंसान कहां खो गया।

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26 SEP 2020 AT 9:39

यह मीडिया नहीं बस सर्कस है
विवादों का हास्यास्पद तरकश है।

यहाँ सत्य भला कहां चलता है
झूठों का सिक्का चलता है।

बेरोजगारी भला कोई मुद्दा है
दीपिका के चरस की चिंता है।

किसान मरे तो मर जाए
सुशांत कैसे मर सकता है।

कंगना को हरामखोर बोल दिया
राओत की कैसे हिम्मत है।

शेल्टर होम में पडी उन लड़कियों की
भला कहां कोई इज्जत है।

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है
अभिव्यक्ति की आजादी
के नाम पर मात्र एक कलंक है।


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23 SEP 2020 AT 16:47

तुम तो हो मेरे ख्वाब जैसे
हकीकत बन जाओ ना
कश्मकश मेरी जिंदगी कि
एक बार सुलझाओ ना
हमनवा तो तुम बन गए
अब हमदम भी बन जाओ ना।

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13 SEP 2020 AT 12:42

उसके दिये हर दर्द को
आज भी दिल में महफूज़ रखा है

उस से जुड़ी हर याद को
आज भी इस दिल ने समेट रखा है

मिला अगर किसी रोज़
तो लौटा दूंगा वो दर्द भी

आखिर ये दिल भी जिद्दी पक्का है।

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12 SEP 2020 AT 11:30

गुजरते वक्त के साथ
बढती उम्र से वो अनजान थी।

घर के आंगन में
अब हो रही नुमाइश आम थी।

किसी रोज़ कोई चेहरे को नहीं
उसके दिल को पढ़ेगा।

क्या उसकी ये फरमाइश भी बेईमान थी।

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11 SEP 2020 AT 16:18

चल मुझसे एक वादा कर
सुख - दुख अपने जितने भी हैं
उन सबको तू आधा कर।

सुबह मेरी तुझसे होंगी
शामों को तू ज्यादा कर।

ये जो ख्वाब बुने हैं संग में
पूरा करने का इरादा कर।

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10 SEP 2020 AT 10:23

एक वो थे

जो मोहब्बत पाने को बेताब बैठे थे।

एक हम

मोहब्बत के बीच उसी से अनजान बैठे थे।

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8 SEP 2020 AT 17:10

शिकायत उनकी ये थी कि
मेरी शिकायतें बहुत हैं।
गुजरे जब एक रोज़ मेरे शहर से
तो शिकायतें सारी दूर हो गईं।

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8 SEP 2020 AT 11:53

कौन हूँ इस बात का चल आज तुझको जवाब दूं।
तूने क्या सोचा मुझे, मैं कोई भटकता साज हूँ।
गुजरा हुआ कल नहीं, इस देश का उज्ज्वल आज हूँ।
टूटा हुआ तारा नहीं हूँ उससे मांगी मुराद हूँ।

मोम की गुडिया नहीं हूँ, जो बिखर यूं जाउंगी।
राम की सीता हूँ लेकिन अग्निपरीक्षा से मुकर जाउंगी।
केशव की राधा हूँ लेकिन केशव के खातिर दुनिया से लड जाउंगी।

मुझसे अगर टकराएगा तो बाद में पछताएगा।
तोड दूं उन बेड़ियों को मुझको जो हैं रोकती।
धीमी सी बारिश नहीं हूँ मैं तो एक तूफान हूँ।
बरसते हुए इस मौसम का मैं बदलता मिजाज हूँ।

शर्म नहीं हूँ मैं कोई बस उम्र का लिहाज हूँ।
छू के मुझे तू देख तेरे अंत का आगाज हूँ।

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