Nishtha Rishi   (©Nishtha R.)
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Poetry |Law
A mess of thoughts.
Joined 7 April 2020


Poetry |Law
A mess of thoughts.
Joined 7 April 2020
18 JUN 2023 AT 16:46

Life span is too short,
Even a sunflower
does not know when it will set
and die one day while looking at the sun.

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8 JAN 2023 AT 19:34

क्या तुमने देखा है खुद को मुस्कुराते हुए
मैंने उस आकृति को गढ़ा है तुम्हे सोचते हुए।

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8 JAN 2023 AT 0:27

ठिठुरती ठंड में पैर पसारे
बसेरे की तलाश में
नन्ही आँखों मे हज़ार सपने लिए
खुले आसमान के नीचे बैठे
एक वक्त की रोटी की तलाश में
करवटें बदलती राते कटती
भोर की होने की आस में।

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30 NOV 2022 AT 13:48

तलाश है मुझे सिर्फ उस छितिज की
जहाँ आकाश और जमीं अक्सर मिल जाया करते है।

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16 NOV 2022 AT 15:23

मुझे तुम ढूंढ लेना
:
किसी कोर्नर पर बने
कॉफ़ी शॉप की टेबल पर बैठे
खाली कप को निहारते
या फिर
अकेले किसी ट्रेन की
खिड़की पर क़िताब लिए
:
अगर इतने में न ढूंढ पाओ तब
अपनी आँखें बंद कर
महसूस कर लेना वही मिलूंगी।

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14 NOV 2022 AT 21:46

I always put a flower in it
which makes the words more fragrant.

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1 NOV 2022 AT 2:23

तुम पहाड़ी की उस पार वाली तितली हो
जिसे सब उड़ने से मना करेंगे
पर तुम कभी हिम्मत मत हारना
प्रयास करते रहना और
आसमान में अपने रंग बिखेर,
उसे अपने मुताबिक बना देना।

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27 OCT 2022 AT 19:02

Life is empty, like a paper before the poetry.
Do something special that fulfills your life.

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16 OCT 2022 AT 19:16

मेरी किताब में पड़ा गुलाब
बदलते मौसम के साथ
अपने रंग भी छोड़ते जा रहा है
गुलाबी से भूरा हो गया है
उसके पत्ते भी शायद
अब उसका साथ छोड़ दे
पर वो आज भी मेरे पास है
जैसे मुझसे जुड़ी कोई याद
उसमे क़ैद हो।

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13 OCT 2022 AT 1:18

कविताएं उकेरी जाती है
उन सभी कीमती लम्हें
और बीते उन सभी पलो से
जो अच्छे थे या शायद हो सकते थे।
कविताओं में शामिल रहते है
वे सभी लोग,
जिनसे हम मिल चुके होते है
या तो मिलने की चाह होती है।
कविता ख्याल का वह घरौंदा है
जो कभी भी बन जाता है।

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