ठिठुरती ठंड में पैर पसारे बसेरे की तलाश में नन्ही आँखों मे हज़ार सपने लिए खुले आसमान के नीचे बैठे एक वक्त की रोटी की तलाश में करवटें बदलती राते कटती भोर की होने की आस में।
मुझे तुम ढूंढ लेना : किसी कोर्नर पर बने कॉफ़ी शॉप की टेबल पर बैठे खाली कप को निहारते या फिर अकेले किसी ट्रेन की खिड़की पर क़िताब लिए : अगर इतने में न ढूंढ पाओ तब अपनी आँखें बंद कर महसूस कर लेना वही मिलूंगी।
तुम पहाड़ी की उस पार वाली तितली हो जिसे सब उड़ने से मना करेंगे पर तुम कभी हिम्मत मत हारना प्रयास करते रहना और आसमान में अपने रंग बिखेर, उसे अपने मुताबिक बना देना।
मेरी किताब में पड़ा गुलाब बदलते मौसम के साथ अपने रंग भी छोड़ते जा रहा है गुलाबी से भूरा हो गया है उसके पत्ते भी शायद अब उसका साथ छोड़ दे पर वो आज भी मेरे पास है जैसे मुझसे जुड़ी कोई याद उसमे क़ैद हो।
कविताएं उकेरी जाती है उन सभी कीमती लम्हें और बीते उन सभी पलो से जो अच्छे थे या शायद हो सकते थे। कविताओं में शामिल रहते है वे सभी लोग, जिनसे हम मिल चुके होते है या तो मिलने की चाह होती है। कविता ख्याल का वह घरौंदा है जो कभी भी बन जाता है।