सुबह से शाम तक का ख्याल हो तुम..!
रात से सुबह तक का ख्वाब हो तुम..!
मेरा वो शाम को आकर छत पर घूमना...!
तुम्हारा वो छत पर आकर मुझ को घूरना..!!
अजीब तो था कुछ..
मगर कुछ वक्त का सुकून दे गया..!!
थोड़ा ही सही...
मगर तुम्हारा थोड़ासा एहसास दे गया...!!
याद आती है हर वो घड़ी....
जब नज़रों से यू नज़रे टकराई थी..!!
होस तो छोड़ो....
दिल की धड़कन तक नही चल पाई थी..!!
काश..! मैं तुम्हे बता पाती
कि तुम्हारी कितनी याद आती है..!
काश..!! तुम समझ पाते..
कि मैंने ये पलके अपनी...
सिर्फ तुम्हारे ही इंतज़ार में थकाई है..!!
लौट आओगे तुम..उम्मीद ये दिल से मिटती नही है..!!
तुम सिर्फ मेरे हो...
धड़कन ये जोर-जोर से धड़क कर कहती है..!!-
जाने कहा ये जिंदगी चले जा रही है..!!
कभी रुकती तो कभी बस दौड़े जा रही है..!!
मत पूछो मुझसे कि क्या हाल है..??
"ठीक हूं" कहना अब इतना आसान नहीं है.!
ना कोई गम है, ना रही किसी से कोई गिला-शिकवा है..!!
"सब ठीक ही है..!!" बस इसी में ज़िंदगी सिमटी जा रही है..!!
नहीं समझ आता की क्या है...क्यों है...कब तक है...??
बस कही कुछ अधूरा है...इतना ही ख्याल आ पाता है...!!
"खुश हूं" दिल से न सही, मगर होटों से तो झलकता है ना...!!
नहीं नाराज नहीं हूं मैं किसी से..!!
बस अब वो मोह-माया वाली बात रही नहीं है ना..!!
यकीन है मुझे...वक्त के साथ ये आंधी थम जाएगी...!!
मगर नजाने वो घड़ी खुद कहा थम सी गई है...??
"जो होगा देखा जायेगा..!!"
खुद से ये ही कहकर इंतजार करे जा रही हूं...!!
कभी तो कुछ बदलेगा...बस यही उम्मीद किए जा रही हूं...!!-
आज....
एक और रात आसुओं के साथ बिता दी..!
उफ्फ तक नही निकली मुंह से...
बस हस्ते हस्ते जान लूटा दी..!!
काश..! वो समझ पाते की,
कितनी तकलीफ होती है...
उनके मुंह से किसी और के बारे में सुनकर...
चलो..!! कोई बात नहीं...
एक बार फिर से हमने,
अपनी बैचेनी खुद ही सीने से लगा ली..!!-
रात के अंधेरा का, उजाला तुम बन गए।
इस बेनाम से रिश्ते में, ढेर सारे रंग भर गए.!
नाजाने इसे दोस्ती कहूं या कहूं इसे प्यार...
मगर दिल में सिर्फ तुम बस गए हो,
और प्यार होगया है बेशूमार..!!
ना तुमने कोई वादा किया है...
ना खाई कोई कसमें है..
मगर साथ निभा रहे हो मेरा,
क्या तुम्हे भी इश्क की खुशबू आ रही है..?!😅
नही कहूंगी मैं किसी से भी....
जरा तुम ये कुबूल कर लो.!!!
कि हां, मोहब्बत है तुम्हे..हमसे,
और कही अपने दिल में कैद लो..!!🥺❤️-
कुछ तो है जो अंदर ही अंदर खाए जा रहा है..!
जाने कोनसा तूफान है, जो बार-बार उठे जा रहा है..!!
बैचनी सी लगी है दिल में कुछ इस कदर....!
नाजाने क्या, कौन, कैसे-कैसे याद आए जा रहा है...!!!
ना हो पा रहा है अब काबू...
जाने कैसे अब ये रुक पायेगा..!!
लगी तो आग कहीं अंदर कोने में है..
मगर नाजाने कहा, कैसे, क्या-क्या भस्म हो जाएगा...!-
याद है तू..
याद है तेरी बाते..!!
भूली नही हूं मैं कुछ भी...
याद है सारी मुलाकाते..!!
वो वक्त जरूर बदला है...
बदला है रिश्ता हमारा...!!
प्यार आज भी है,
कही बीच हमारे...
लेकिन साथ नही,
हो सकते हम दोबारा..!!-
क्या मालूम है तुझे की मैं...
तुझसे कितना प्यार करती हूं...!!
सुबह हो या.. हो शाम...
तुझे हर पल याद करती हूं.....!!
जुदा तुमसे जरूर हूं...
लेकिन, दिल में आज भी तुम बस्ते हो..!!
और क्या कहते हो तुम...
"तुम्हे अब कुछ याद नहीं..!"
रै जान मेरी.!!
जब भूली मै नही कुछ भी....
तो तुम कैसे भूल सकते हो..!!-
जिन्हे अपना माना था, उन्होंने आग लगा दी...!
जिनको दिल से जाना था उन्होंने कैची चला दी...!!
सुना था...
रिश्ते सब चीजों से बढ़कर होते है.!
मगर....उन्होंने ही हर किसी की पहचान करा दी..!!
ऐ ज़िंदगी.....
अब तो जरा संभल जा तू...!!
सब गिराने के लिए पीछे खड़े है...
अब तो ये बात समझ जा तू...!!!-
तुमसे मिलने के बाद पता नही ये कैसा लगता है..!
अजीब सा है कुछ.... सायद डर बहुत लगता है..!!
प्यार झलकता है, हर एक अदा में तेरी...!
सायद इसलिए तू मुझे आज भी...
अपना सा लगता है...!!
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देखकर तेरी आंखों में,
मेरा वो पल बन गया..!!
मासूमियत से भरा चेहरा तेरा,
मेरे दिल में उतर गया..!!
कहना था बहुत कुछ..मगर...
तेरी ना..., से मै डर गई..!!
आखें ना रोक पाई खुद को
कंभ्भत इजहार कर गई...!!-