हम क्या रूठे,
उसने मनाना छोड़ दिया…
इन तीन महीनों में,
वो सिर्फ़ तीन बार आया…
और उसको आता देख
मैंने दिल लगाना छोड़ दिया….-
मैंने उसकी नासमझी को भी
प्यार से समझा,
और उसने मेरी समझ को ही
नासमझ कह दिया गेरो के बीच…-
Ek ache hum safar ki talaash me…..
na jaane kitno ko peeche choda……
Pr jb humsafar ke saath waqt nikala….
to apne aap ko hi mene kosa…..
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क्यूँ होती है..
आख़िर क्यूँ अपनो
से दूरी सहनी पड़ती है..
ऐसा क्या गुनाह किया मैंने
कि इतना प्यार करने पर भी
मुझे उनसे दूरी निभनी पड़ती है
हर रोज पूछती हूँ अपने आप से
कि आख़िर क्यूँ
दूरी अपनो से सहनी पड़ती है..-
जो हाथ आता था अकसर चहरे पर
बाल संवारने के लिए,
वो हाथ तो इस बार भी आया पर
घाव देने के लिए,
अब दिल और जज़्बात ऐसे बिखरें है कि,
उसके पास होने से भी एतराज़ है…..
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na jaane kitne din nikale tumse milne ke liye
or jb tum mile.....
jee bharke niharne ka mauka bhi na diya.
na Jane kaise narazgi dil me chupaye baithe the..
ki hum samne bhi the phir bhi nazarein kahin oor lgaye baithe the-
हमको बता के
वो पीते हर रोज़ हैं....
ओर,
उनसे छुपके
हम मरते हर रोज़ हैं.....-
सुबह का पहला मैसेज तुम हो
पल पल फ़ोन देखने का जरिया तुम हो
खाना पहनना सब तुमको दिखना है
हो कुछ खास तो तुम्हे बताना है
शाम की चाय का एहसास तुम हो
लोगों के बीच शरमाने कि वजह तुम हो
मेरी रातों की बेचनी तुम हो
और
रात मे नींद ना आने का कारण भी तुम ही हो...
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इस भागती हुई दुनिया में,
एक सहारा चाहिए
इस शोर भरे आंगन में,
एक आसरा चाहिए
जैसे डूबती हुई नाव को,
एक किनारा चाहिए
बस इसी तरह मुझे,
अपने जीवन में तेरा साथ चाहिए।।।।।।-