मुसलसल तेरे ख्यालों से लिखने की आमद हुई है,
मेरी डायरी के पन्नों पर इश्क़ की सजावट हुई है,
एहसास हैं उल्फत के जो स्याही बनकर उतरे हैं,
ख़ामोश धड़कन पर तेरे इश्क़ की आफ़त हुई है....
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बस हर पल हँसना और हँसाना ही अपना अंदाज़ रखती हूँ.... read more
जीत गया इंसान आज मज़हब हर गया,
मंदिर मस्जिद की जंग में आज खुदा हार गया,
दिख रहा क़त्लेआम सा मंज़र जो चारों और है,
आफ़त की इस घड़ी में आज वक़्त भी हार गया..
सियासी इन मअसलों में मर रहा इंसान है,
इंसानियत ही आज जीत रही न ख़ुदा है न भगवान है,
पूछो ज़रा इस विपदा से कौन कौन है निशाने पर,
वो भला क्या जाने कौन हिन्दू है कौन मुस्लमान है....-
तेरे दिल के हर एहसास का आगाज़ हूँ मैं,
दिल की धड़कती हर धड़कन का साज़ हूँ मैं,
बातें जो ज़ुबान बयाँ न कर पाएं तुम्हारी,
उस इश्क़-ए-जज़्बात की आवाज़ हूँ मैं....❤️-
मज़हब के नाम पर ज़ुल्म-ओ-सितम हम नहीं करते,
देशभक्ति की आड़ में सियासत हम नहीं करते,
हिंदुस्तान की ज़मीं पर रखे हैं क़दम अपने,
बस हिंदुस्तानी हैं हम धर्म के नाम जंग नहीं करते हैं,
संस्कार, संस्कृति और भाषाओं का मेल है ये धरती,
इबादत के लिए मंदिर मस्जिद में फ़र्क़ हम नहीं करते..
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एक नहीं कई लम्हे तेरे साथ चाहती हूँ,
तेरे संग जिसमें भीग जाऊँ ऐसी बरसात चाहती हूँ,
उड़ने लगे जहाँ हवा से कुछ दीवाने ख़्वाब मेरे ,
तेरे ख़यालो का बस वो आसमाँ चाहती हूँ,
मोहब्बत तो शायद उनको भी है हमसे,
ज़ुबाँ हो जाएं जो उनके ये जज़्बात बस वो अल्फ़ाज़ चाहती हूँ..
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गीले शिकवे कोई ग़र कोई हो तो भुला देना,
ज़िन्दगी के हर दर्द में यार तुम मुस्कुरा देना,
बहुत मुश्किल से पाये जाते हैं ये कुछ साथ,
दो पल हँस के बुलाये कोई तो उसे अपना बना लेना,
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क्या लिखूं उसकी तारीफ़ में ,
लफ्ज़ ही मानो पन्ने पर उतरने से इंकार करते हैं,
एहसास मेरे ये कहते हैं वो इतना अज़ीज़ है कि ,
ये चंद अलफ़ाज़ भी उसकी फ़ितरत बयां करने से डरते हैं,
ख़ुदा से बढ़कर अब क्या इबादत करूँ मैं उसकी,
उससे मुक़म्मल साथ की हम उस रब से फ़रियाद करते हैं...
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यूँ तन्हाई तन्हाई चिल्लाने से महफ़िलें नही मिलतीं,
रास्तों को फ़क़त निहारने से मंज़िलें नही मिलती,
शिद्दत न हो इबादत में तो आज़ान भी आदत लगेगी,
बिना सजदों के इस जहां में जन्नतें नही मिलतीं...😊-
जिस्मानी तालुकात से रिश्ते कहाँ सँवरते हैं,
विवादी मसलों से तो रिश्ते सिर्फ़ बिखरते हैं,
बहुत नाज़ुक से होते हैं बंधन ये एहसास के,
तराशो जो विश्वास के हीरों से तो रिश्ते और निखरते हैं...-
हाँ,
मुझे भी ख्वाइश है उन लम्हों की
जैसे साहिल को होती है समुन्द्र की,
आँखों को होती है काजल की,
दिल को होती है धड़कन की,
दर्दों को होती है हमदम की,
मंज़िल को होती है राहों की,
फूलों को होती है शबनम की,
तू बन जाये गर जीवन साथी,
ज़रूरत नही हमें साँसों की....
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