पढ़ना है चाहत मेरी,
मिलेगी कब वो किताब मुझे
जिसपे तेरी, मुझ तक आने की तारीख है लिखी?
इंतजार कराना भी एक कला है,
अब कलाकार से मिलने की बेबाक तमन्ना है।-
कुछ अल्फ़ाज़ और सपने अधूरे रह गए,
कुछ खो गये कुछ पास ही ठहर गये।
उम्मीद पे दुनिया कायम है बहुत बार सुना है,
तो अपने अल्फाजो और सपनों को फिर से जीने का सोचा है।
उड़ने की चाह में, चलना शुरू किया.
पंखो को पाने के लिए, खुद को प्रोत्साहन देना शुरू किया।
जब मालूम हुआ की, सफर अकेले ही करना है.
डर था और है.
क्योंकि अपनों के पास हो के भी
उनका साथ--- साथ हो के भी,
अपनों के लिए ही,
खुद का ही हाथ, हाथो में थाम के हिम्मत से आगे बढ़ना है।
उड़ान जब सफल होगी,
तब सबसे प्यारी मुस्कान भी,
मेरे अपनों की ही होगी. जानती हूं मैं ये...
- निशी अग्रवाल 😊🍀-
खुद से मोहब्बत करके
सुकून का आभास हुआ,
तेरा आके चले जाना मेरे लिए,
मुझसे मिलने का मौका साबित हुआ।
दर्द नहीं तू सीख दे गया,
खुद से मोहब्बत करने की
वज़ह और समय दे गया।
वक्त तू हर वक्त बदलता है,
साथ होगा मेरे तू,
मेरा ये तुझसे वादा है।
- निशी अग्रवाल🍀-
पहले से ही हूँ मै ख़फा-ख़फा
आईने के समीप न जाती हूँ,
अपने ही अक्स से अकसर भयभीत होकर
खुद से ही दूर न जाने कहाँ जा रही हूँ।
तुझसे ही तो करूँ बाते मन की सारी,
काफी है दुनिया, अब तू ना मुझको और सता।
चांद तू मुंह न मोड़,
यू न मोड़ मुंह मुझसे तू ।-
कुछ स्वादो मे नमक से दूरी लिखा होता है,
कुछ रिश्तो मे ना मिलना ही ज़रूरी होता है ।-
उलझनों में उलझती सी,
खुद मे हौले हौले सुलझती सी,
एक राग हु, फुलो का पराग हु,
न समझ आऊँ मैं, शहद कहलाऊ,
मिठास से भीगी एक पहेली हु,
कभी कड़वी सच्चाई भी कह देती हु।-
तुझे ढूंढना चाहा
पर ये भूल गई थी की
यह तो महज़ तेरे अक्स का वहम था मुझे।-
ख़ाली वक्त नहीं, ना मैं हूँ ख़ाली
खालीपन ने तो थाम ही लिया है मुझे
यह रिश्ता मैने चुना नहीं
अपने आप; न जाने कैसे?
यह मेरी जिन्दगी का किस्सा बन गया,
मेरा अनचाहा हिस्सा बन गया।
खाली हैं शब्द; खाली हैं बातें
आँखे मेरी; सांसे मेरी
एहसास और मुस्कुराने की आस
अब सब कुछ हैं खाली
खालीपन ने तो थाम ही लिया है मुझे
ख़ाली वक्त नहीं, ना मैं हूँ ख़ाली।
आखिर क्यूँ ? यह मेरा हिस्सा बन गया।
मेरा अनचाहा किस्सा बन गया।-