आलोचनाए सहकर भी, विश्वास से भरा हु मैं,
मंजिल मिल गई मुझे! अब जाकर मरा हु मैं...-
Nishchay Sharma
(Nischay)
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सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नही !
Joined 10 October 2019
2 JUL 2024 AT 12:53
25 NOV 2023 AT 8:41
सभी चेहरों में भय दिखेगा,
हर शक्श में तुम्हें "निश्चय" दिखेगा...-
4 SEP 2023 AT 13:46
मैंने तुम्हें अपने दिल से इस कदर निकाला है,
जैसे आसमान में किसी ने सिक्का उछला है...-
24 JUL 2023 AT 1:49
दरिया हो! समंदर नहीं हो
आज करीब से देखा,
तुम इतनी भी सुंदर नहीं हो...
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16 JAN 2023 AT 12:38
जज्बातों को जाया कैसे करते है कोई तुमसे पूछे,
एक पल में पराया कैसे करते है कोई तुमसे पूछे...-
9 JAN 2023 AT 23:17
कभी-कभी तोह ये सोचकर चुप हो जाता हूँ,
अगर बोलूंगा तो सामने वाले की धज्जियां ना उड़ा दूँ...-
6 JAN 2023 AT 23:08
लोग क्यू इसे इतना खराब कहते है,
जिसे हम प्यार से "शराब" कहते है...-
6 JAN 2023 AT 22:58
जितना प्यार कमाया है सब खो दोगे,
मैं जिद पे गर आ गया तोह रो दोगे...
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6 JAN 2023 AT 22:32
तुम्हारे हुस्न की किताब फिर कभी देखलूँगा,
तुम चाँद देखलेना मैं तुम्हें देखलूँगा,
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31 DEC 2022 AT 23:34
जरूरी काम भी टालना पड़ता है,
वक्त किसी के पास नही होता,
निकालना पड़ता है...-