इन दिनों याद उसकी ज्यादा आ रही है ,लगता है अपने दिल से वो मुझे मिटा रही है।
अजीब से तिश्नगी है उसकी यादों के साएं में,जिंदगी बसर कर रहा हूँ पर जी नहीं जा रही है।
अब यकीन हो चला है मुझे, के मेरे दोतरफा इश्क की कहानी एक तरफा लिखी जा रही है।-
तुझ से इश्क कर के मुझे भारी नुकसान रहा ,न मैं आशिक हुआ अच्छा न मैं नेक इंसान रहा ।।
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वो पूछना था कि इस चाहत को अब ताउम्र मुझे ही संभाल के रखना है या तुम आओगी लौट कर कभी मुझे थोड़ा सहारा देने को....
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सोचेंगे कभी तो मुस्कुराएंगे कि आज अगर तुम होती तो क्या करते,
तेरे हिस्से की मोहब्बत ताउम्र याद आएगी मुझे।-
वक्त वक्त की बात पे बेवक्त तेरा यूँ याद आना...
पामाल कर जाता है तेरा यूँ बंद आँखों में झांक जाना...
मुसलसल ढलती उम्र का अधूरा इश्क है मेरा,आता तो है दिल में बहुत पर आता नहीं है जताना...-
सफर एक था मंजिल भी एक, "मोहब्बत"।
उसे रास्ता बदल लेना सही लगा और मुझे ठहर जाना।।
वो आगे बढ़ गई वो समझदार कहलाई, मैं वही खड़ा रहा तो कमजोर ओर हारा हुआ।
उसने सफर चुना मैंने इंतज़ार,
ना उसका सफर खत्म हुआ , ना मेरा इंतजार, मंजिल तो एक ही थी," मोहब्बत"।।-
तुम्हें प्यार कर लेना चाहिए था
एक दफ़ा छोड़ने से पहले...
तुम्हें पलट कर देख लेना चाहिए था
एक दफ़ा मुँह मोड़ने से पहले...
तुम्हें वादा याद रखना चाहिए था
एक दफ़ा तोड़ने से पहले...
यूँ तो बात बस इतनी सी है
कि अब तुम साथ नहीं हो मेरे...
मगर मुझे एक दफ़ा बोल देना चाहिए था
यूँ बेख्याल छोड़ने से पहले...-
मुझे बचा के रख खुद के लिए , मैं एक रोज तुझे बहुत याद आऊँगा,जब इस भीड़ में पड़ जाओगी अकेली मैं फिर तेरा साथ देने आऊँगा।
मैं आशिक हूँ हर बार रुलाया जाऊँगा, जलील होना फितरत है मेरी, हर बार मिलूंगा तुम्हे जब भी पुकारा जाऊँगा ।।
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एक अरसे के बाद रो रहा हूँ मैं,लगता है उसको भूल जाने को तैयार हो रहा हूँ मैं।
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बदल के देख लिया मैंने शहर का हर एक कोना,बदल दिया वो बिस्तर वो बिछौना।
क्या देश क्या परदेश तुम बिन सब सूना –सूना ।।-