Nishant Walia   (nishi)
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Just a feeling in the form of ink. ✒️
Joined 6 September 2017


Just a feeling in the form of ink. ✒️
Joined 6 September 2017
11 AUG 2022 AT 23:21

हर मौसम मैं उसको अपना बनाने लगी,

और वो वक्त की तरह हाथों से फिसलता गया।

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14 JUN 2021 AT 22:55

किसी की गलती, भुगत कोई रहा है,

देख मौत का मंजर खुदा भी रो रहा है।

बहुत गुरुर था इंसान को अजय होने का,

वक्त की उल्टी चाल में अपनों को खो रहा है।

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9 APR 2021 AT 20:44

कुछ ख्वाब संजो के बैठा था,

तुम्हारे जाने के बाद भी पूरे करूंगा।

ये इश्क़, इश्क़ ही तो है,

अबकी बार और शिद्दत से करूंगा।

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25 MAR 2021 AT 22:27

यूं तो शराब पीना आदत नहीं थी हमारी,

तुम्हे क्या देखा हर वक्त नशे में रहने लगे।

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24 MAR 2021 AT 23:30

गर तुम जो मिल गए होते,

कसम खुदा की, खुदा बन गए होते।

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15 MAR 2021 AT 19:09

अब जो मिलने आना, थोड़ी फुरसत से आना।

थोड़ी खुशियां साथ लाना, थोड़ा वक्त देते जाना।

थोड़े सपने संजोते आना, थोड़ी यादें लेके जाना।

थोड़ा हाथ पकड़ कर रखना, थोड़ा सीने से मुझे लगाना।

थोड़ी दूर तलक साथ चलना, थोड़ा संग मेरे रुक जाना।

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12 FEB 2021 AT 19:02

यूं तो मिले वक्त हो चला है,

लेकिन यादें कम नहीं पड़ी मुस्कुराने को।

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12 FEB 2021 AT 11:48

वो शाम का नशा भी कुछ अलग ही था,

याद आए तो दूरियों का मज़ा बड़ सा जाता है।

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17 DEC 2020 AT 10:06

बहुत शिकायतें है तुमसे,

शायद दिन कम पड़ जाए बताते बताते।

मगर मोहब्बत भी बहुत है तुमसे,

शायद रातें कम पड़ जाए जताते जताते।

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17 DEC 2020 AT 3:43

यूं तो उम्र उम्र की बात है,

कई आज भी खुश, कई बरसों से शान्त है।

ये ज़िन्दगी की ज़िम्मेदारियां ही कुछ ऐसी है,

कई ना जान पाए इसे, कई तले इसके वीरान है।

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