हर मौसम मैं उसको अपना बनाने लगी,
और वो वक्त की तरह हाथों से फिसलता गया।-
किसी की गलती, भुगत कोई रहा है,
देख मौत का मंजर खुदा भी रो रहा है।
बहुत गुरुर था इंसान को अजय होने का,
वक्त की उल्टी चाल में अपनों को खो रहा है।-
कुछ ख्वाब संजो के बैठा था,
तुम्हारे जाने के बाद भी पूरे करूंगा।
ये इश्क़, इश्क़ ही तो है,
अबकी बार और शिद्दत से करूंगा।
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यूं तो शराब पीना आदत नहीं थी हमारी,
तुम्हे क्या देखा हर वक्त नशे में रहने लगे।-
अब जो मिलने आना, थोड़ी फुरसत से आना।
थोड़ी खुशियां साथ लाना, थोड़ा वक्त देते जाना।
थोड़े सपने संजोते आना, थोड़ी यादें लेके जाना।
थोड़ा हाथ पकड़ कर रखना, थोड़ा सीने से मुझे लगाना।
थोड़ी दूर तलक साथ चलना, थोड़ा संग मेरे रुक जाना।-
यूं तो मिले वक्त हो चला है,
लेकिन यादें कम नहीं पड़ी मुस्कुराने को।-
वो शाम का नशा भी कुछ अलग ही था,
याद आए तो दूरियों का मज़ा बड़ सा जाता है।-
बहुत शिकायतें है तुमसे,
शायद दिन कम पड़ जाए बताते बताते।
मगर मोहब्बत भी बहुत है तुमसे,
शायद रातें कम पड़ जाए जताते जताते।
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यूं तो उम्र उम्र की बात है,
कई आज भी खुश, कई बरसों से शान्त है।
ये ज़िन्दगी की ज़िम्मेदारियां ही कुछ ऐसी है,
कई ना जान पाए इसे, कई तले इसके वीरान है।-