क्यूँ न बदलूँ मैं खुद को तुम वही हो क्या,
चलो मैंने माना की मैं गलत हूँ,
पर तुम सही हो क्या दल-
खिले गुलाब का मुरझाना बुरा लगता है,
मोहब्बत का यूं दूर जाना बुरा लगता है,
फासले मिटाना अच्छी बात है,
पर किसी और का उनके नजदीक जाना, बुरा लगता है ।
यूं तो चलती है हवा रोज फिजाओं में,
पर उसका, उनको छू कर गुजर जाना, बुरा लगता है,
उनकी हंसी है हमें सबसे प्यारी,
पर उनका किसी को देखकर मुस्कुराना, बुरा लगता है ।।
वो नाम तक ना ले हमारा जिन्दगी भर गम नहीं,
पर ना जाने क्यों उनके लबों पर किसी और का नाम आना, बुरा लगता है ।।-
रोज रोज जलते हैं , फिर भी खाक न हुए
अज़ीब हैं कुछ ख्वाब भी, बूझकर भी राख न हुए-
आज अभी तू कर दे सिलसिला ही खतम,
रोज मरता है अखिर माजरा क्या है...
जिंदगी जज्बातों की ज़ंग ही तो है,
उम्मीदे सबसे तू लगाता क्या है,..
यहा हर कोई नहीं है अच्छा सुनो,
तू सबकी बातों में आता क्या है..-
बादलों का गुनाह नही की वो बरस गए...
दिल हल्का करने का हक़ सभी का होता हैं,-
हर बात " ख़ामोशी " से मान लेना
यह भी अन्दाज़ होता है , नाराज़गी का-
इक दर्द है जो मुझे जीने नहीं देता,
दिल सब्र कर जाता है पर मुझे रोने नहीं देता,
मैं उसका हूँ ये राज तो वो जान गये,
पर वो किसके हैं ये सवाल मुझे सोने नहीं देता.-
मिल जाता है दो पल का सुकून बंद आँखों की बंदगी मे वरना,
थोड़ा-थोड़ा परेशान तो हर शख़्स है अपनी जिंदगी मे .. !-
जो उसके पते पर ना गए वो खत हु मैं,
उसको लग के भी ना लगी वो लत हु मैं….-