Nishant Kumar   (DK)
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Joined 3 October 2018


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Joined 3 October 2018
18 APR AT 23:08

थक गया हूँ सबके साथ हँसते-हँसते,
अब रुक कर मैं थोड़ा रोना चाहता हूँ|
जागे रहे बहुत किसी की याद की तड़प में,
सब कुछ भुला कर अब मैं सोना चाहता हूँ|
एक तरफ दुनिया हमेशा कुछ पाना चाहती है,
मैं सिर्फ अब तन्हाई में खोना चाहता हूँ|
चाहत में बहुत हो लिए हम किसी और के,
अब मैं सिर्फ खुद के पलों का ही होना चाहता हूँ|

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9 DEC 2024 AT 9:09

पहली मुलाक़ात में खुद को तुममें भुला बैठे,
तुम हमारे ना होते हुए भी हमें अपना बना बैठे|
चाहत हुई तुमसे इस कदर की क्या बयां करें,
एक ही दिल था हमारा जिसे हम तुम पर गवां बैठे|

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7 NOV 2024 AT 0:37

ना पहली ना ही आखिरी मोहब्बत हो तुम,
मेरी ज़िंदगी की इकलौती चाहत हो तुम|
इस कदर बेपनाह मोहब्बत की थी तुमसे,
जैसे तपती धूप में छाँव की राहत हो तुम|
था मैं खोया खुद के अँधेरे में कहीं,
तुमने ही मुझे रोशनी से दुबारा मिलाया|
दूर जो हुए हम तुमसे इस कदर ज़िंदगी में,
की ये दिल दुबारा किसी का ना हो पाया|

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17 SEP 2022 AT 5:54

कुछ पलों में, कुछ यादों में, कुछ अनकहे एहसासों में,
आज भी तेरी कमी सी मेहसूस होती है|
चाहे कहीं भी चला जाऊं मैं,
हर लम्हे तेरी यादें मुझे आज भी सताती हैं|
सोचा था कि दूर हो कर शायद तुम्हें भुला पाऊँगा,
इतनी दूर आ कर खुद को शायद सम्भाल पाऊँगा|
पर ये दूरी हमें और ज़्यादा सताती है,
अब समझ आया कि दूर रहने से जो दिल के करीब होते हैं हमें उनकी याद और भी ज़्यादा आती है|

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3 SEP 2022 AT 4:30

ठहर जाये ये पल गुज़रता हुआ बस यही दिल से दुआ है,
हर लम्हा हो इसी तरह यही हमारी इच्छा है|
मिले ऐसे कुछ लोग जो खुद से इतने करीब महसूस हुए हैं,
चले ज़िंदगी में हम आगे भी साथ बस यही मन्नत है|
कहते हैं लोग बदलते हैं मौसम की तरह,
लोग बदले ना बदले ये यादें ना बदले बस यही एक दुआ है|

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9 JUN 2022 AT 1:43

वो बंधन भी कितना कुछ बाँधे रहा मुझ सँग,
सपने दिखाये मुझे जैसे इन्द्रधनुष के सात रँग|
आज भी शायद बस उसी बंधन में खोया हुआ हूँ,
बिना नींद के भी मैं बेचैनी की नींद सोया हुआ हूँ|
कैसे कहूँ कि मैं आज भी तुम्हें कितना चाहता हूँ,
बताऊँ कैसे की तुम कितने पास हो मेरे दिल के|
मिलें कभी अगर कल हम यूँ ही किसी राह पर,
तो अजनबी के तरह चले ना जाना बिना मुझसे मिल के|

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22 MAY 2022 AT 11:50

नए रास्ते, नयी मंज़िलें और नया है सफर,
ये हवा ये छांव सारा जहाँ है हमसफर|
निकले हैं आज साथ इस नयी राह पर,
आगे मौके मिलेंगे ऐसे जब होंगे कई और सुन्दर सफर|

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27 APR 2022 AT 20:11

हर रात तुम्हारी याद में चाँद की ओर ताकता हूँ,
तुम्हें कितना चाहता हूँ ये बात मैं हर रोज़ उसे बताता हूँ|
वो कभी ख्वाब में मुझसे पूछे मेरी चाहत की वजह,
तो बस तुम्हें याद करके मैं हौले से मुस्कराता हूँ|
तुमसे मोहब्बत की क्या वजह बताऊँ बस यही सोचता हूँ,
बस यही सच है कि खुद की खुशी से पहले मैं तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ|

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13 MAR 2022 AT 7:53

चाहे वो ख्वाब हो सुबह का,
या फिर किसी रात का सपना|
या फिर हो हकीकत ज़िंदगी की,
हर कदम पर हमने माना है तुम्हें अपना|
चाहे पास रहो तुम या दूर हो हमसे,
हर पल हर लम्हा सिर्फ प्यार करेंगे हम तुमसे|

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8 FEB 2022 AT 13:02

हम हैं कि उनसे बेपनाह मोहब्बत करते हैं,
और वो हमसे पूछते हैं कि हम किसे चाहते हैं|
कैसी ये शरारत है उनकी या शायद उनकी नादानी है,
सब कुछ जानते हैं फिर भी सुनना हमारी ही ज़ुबानी है|
करते हैं इज़हार की हमें तुमसे मोहब्बत है,
अपनी ज़िंदगी से भी ज़्यादा मेरी ये चाहत है|

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