Nishant Kumar Yadav   (My words✍️)
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Not born to impress you😏
Please don't follow me for follow back..
Joined 9 August 2019


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31 DEC 2023 AT 20:28

बीत गई ऐ साल भी,
मगर दे गई जीवन में कुछ बदलाव भी ।।

हां हर बार की तरह,
कुछ पुराने लोगों से दुरियां बनी,
और नए लोग कुछ आए करीब,
कई सवालों के उत्तर मिले,
और कुछ रह गए अधूरे।।

मगर देखें है जो सपने मैंने,
उस ओर है एक कदम बढ़ा,
और अपने घर बनाने के खातिर,
अपने घर पर मेहमान बना।।

और शुक्रगुजार हूं मैं, भोले आपका,
आपके बिना मैं कुछ भी नहीं,
मगर है अब एक और प्रार्थना,
आने वाले वर्षों में,
किसी के मुस्कान की वजह भले न बन पाऊं,
मगर, किसी के तकलीफ कि वजह न बनने देना,
और पकर कर मेरी उंगली को,
मुझे सही राह दिखाते रहना।।

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29 JUN 2023 AT 9:27

ऐ मंजिल,
मत ऐतरा अपनी ऊंचाईयों पर,
मत ऐतरा, तुझ तक पहुंचने वाली
राह कि कठिनाइयों पर,
हां माना, बहुत सी खाई है पार करने को,
कई पहाड़ कि चोटियां भी है लांघने को,
हैं लाख परेशानियां तुझे पाने में।।

मगर,
कुछ दुरियां तो तय कि है हमने,
हां, अभी हैं और भी बाकी,
ऐ ना सोचना कि किसी मोड़ पर भटक जाऊंगा मैं,
क्योंकि देखा है मैंने पिताजी को
मेरे खैरियत के खातिर पसीना बहाते हुए,
मां कि दुआ का असर भी देखा है मैंने,
और मेरे भोले ने भी है थाम रखा मेरा हाथ,
मुझे रास्ता दिखाने के खातिर।।

🙏🏻🙏🏻जय भोले🙏🏻🙏🏻

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3 APR 2023 AT 0:46

इस्लाम एक ऐसा पंत,
जहां हाथ मिलाने को भी मौलवी हराम कह देते हैं,
न जाने उस हाथ में पत्थर कहां से आते हैं।

एक ऐसा पंत,
जहां रोजा रख कर भुखे रहने वालो का
दर्द का एहसास कराया जाता है,
अपनी संपत्ति में से कुछ दान कर
कई जरूरतमंदों के जीवन में खुशियां लाया जाता है,
न जाने उस हाथ में दुसरे के जीवन बर्बाद
करने के लिए आग के गोले कहां से आते हैं।

एक ऐसा पंत,
जहां रमजान के पुरे महीने को पाक (पवित्र) कहां जाता है,
न जाने फिर इस माह मे भी कई नापाक कोशिशें
का ख्याल भी कहां से आता है।

एक ऐसा पंत,
जहां हर शुक्रवार अपने सभी काम छोड़
जुम्मे का नमाज मस्जिद से अदा किया जाता है,
न जाने फिर वही से उपद्रव कि खबर कहां से आते हैं।।

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17 NOV 2022 AT 22:04

मैं क्या था??
मैं कौन हूं??
और क्यों हूं??
न जाने और कितने सवाल रोज दस्तक देती हैं!!
इस भीड़ - भाड़ की दुनिया में,
ना जाने ऐ विचलित मन किसे ढूंढती हैं,
न खुश हूं, ना उदास हूं,
ना खफा किसी से,ना शिकायत किसी से,
ना प्यार किसी से, ना नफरत किसी से,
ना ईर्ष्या किसी से, ना उम्मीद किसी से,
ना जाने फिर क्यों भटक जाता हूं अपनी डगर से,
चलते चलते यू थम सा जाता हूं बीच सड़क पे,

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13 AUG 2022 AT 20:44

कैसा समां रहा होगा,
जब तिरंगा पहली बार,
स्वतंत्र आसमान में लहराया होगा?
अरे हर एक भारतवासी के,
आंखें नम होगी और होंठो पर मुस्कान छाया होगा,
पूरा बदन सिसक सा गया होगा,
रोम रोम हवा में लहराया होगा,
जब होठों से जन गण मन निकली होगी,
भारत का कण-कण खुद को सौभाग्यशाली पाया होगा,
जल,अग्नि,वायु,धरा और आसमां भी खुद को,
वीरों की शहादत पर झुकाया होगा,
और देख तिरंगे को लहराते हुए,
स्वतंत्र आसमान में फहराते हुए,
हर एक भारतवासी ने फिर से कसमें खाई होगी,
इस तिरंगे को ना झुकने देंगे,
इसे कभी ना मिटने देंगे,
कटा लेंगे खुद का सर मगर,
इस तिरंगे की आन-बान-शान में,
कोई कमी ना आने देंगे,
इसी कसमे को बढ़ाते हुए,
अपना फर्ज निभाते हुए,
इस बार फिर से तिरंगा फहराएंगे,
आजादी के 75 वर्ष होने पर,
इस बार हम आजादी का अमृत महोत्सव मनाएंगे‌,
हर घर तिरंगा फहराएंगे
घर-घर तिरंगा फहराएंगे।।

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11 AUG 2022 AT 15:52

अच्छा सुनो
सुन तो रही हो ना,
कुछ मांगू तो दोगी क्या,
क्या सोचने लगी अब क्या मांग लूंगा,
हां अच्छी बात है सोच लेना,
मगर पहले सुन तो लो,
अरे कोई बात नहीं,
अगर ना दे सकोगी, तो मना कर देना,
हां माना थोड़ी तकलीफ तो होगी मुझे,
मगर इस बात से खुश रहूंगा कि तुमने झूठ तो ना कहा,
हां अक्सर मैं तुमसे कुछ ना कुछ मांग लिया करता हूं,
बेशक तु हर एक चीज दे देती हो,
मगर आज तुमसे कुछ खास मांगने आया हूं,
वैसे कोई ख्वाहिश नहीं तुमसे, ना ही कोई शिकायत,
बस मैं तुमसे आज कुछ अनमोल वचन मांगने आया हूं,
वचन के रूप वादा लिख लाया हूं,
वादा, हर पल साथ निभाने का,
वादा , इस रिश्ते को अटूट बनाए रखने का,
वादा, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो झूठ नहीं कहने का,
वादा,लाखों खुशीयां छुपा लो मगर छोटी सी तकलीफ़ भी न छुपाने का,
और एक आखिरी,
वादा मेरी हर गलती को हंस कर माफ कर देने का,
कहो, इन सब वादे को पुरा करोगी क्या??
कहो न पुरा करोगी क्या??

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21 JUL 2022 AT 16:21

Today is difficult.
Tomorrow is more difficult.
Day after tomorrow is beautiful.

But most of the people die on
Tomorrow evening..😒

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23 APR 2022 AT 22:14

Work for public not for publicity.

Love public not publicity

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15 APR 2022 AT 15:17

तो बात कुछ और होती,
मैं यह नहीं कह रहा,
कि रुक गई है जिंदगी तुम्हारे बिन,
हो नहीं सकता प्यार किसी और से फिर,
थम गई हैं सांसे,
और दिलों ने बंद कर दिया है धड़कना तुम्हारे बिन,
बस तुम अगर साथ होते,
तो बात कुछ और होती।।

मैं यह नहीं कह रहा,
कि छोड़ दिया हूं मुस्कुराना तुम्हारे बिन,
कट नहीं रहीं जिंदगी का एक भी दिन,
टूट गया हूं खुद में इतना,
कि संभाल नहीं पा रहा हूं खुद को फिर,
और सूनी सी हो गई है मेरी दुनिया तुम्हारे बिन,
बस तुम अगर साथ होते,
तो बात कुछ और होती।।

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4 APR 2022 AT 19:53

कविता जो लिखी नहीं अब तक,
कैसे तुम्हें सुनाऊं,
है कई अनकही कहानियां,
कैसे तुम्हें बताऊं,
अनमोल है एहसास वो,
जिसे शब्द में ना बदल पाऊं,
कविता जो लिखी नहीं अब तक,
कैसे तुम्हें सुनाऊं।।

वैसे है नहीं कोई और बातें,
जिसे मैं सबको बताऊं,
बस है कुछ तेरी अनमोल यादें,
जिसे याद कर मै मंद मंद मुस्कुराऊं,
और है कुछ ऐसे पल,
जिसे याद कर मैं तुझमें खो जाऊं,
कविता जो लिखी नहीं अब तक,
कैसे तुम्हें सुनाऊं।।

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