NISHANT KUMAR   (Nishant)
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लिखते है सदा उनके लिये जिन्होने कभी हमें पढ़ा ही नहीं।
Joined 3 February 2019


लिखते है सदा उनके लिये जिन्होने कभी हमें पढ़ा ही नहीं।
Joined 3 February 2019
12 NOV 2023 AT 1:05

बस याद रहे कि अंधेरा मिटाना नहीं होता, दीप जलाना होता हैं


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7 SEP 2023 AT 15:15

अंधेरा घना हो फिर भी मुस्कुराएगा,
वो कृष्ण ही है जो प्रेम में राधा हो जायेगा

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9 JUN 2023 AT 0:44

एक हुजूम से मिल कर आया हूँ मैं, और ये पाया कि यहाँ अपने सिवा कोई अपना नहीं

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27 JAN 2023 AT 0:41

तेरे साथ बैठ कर जो थोड़ी गुफ्तगू हो जाती,
ना जाने हमारे कितने काश का हिसाब हों जाता

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24 JAN 2023 AT 17:43

होना था बहुत कुछ गवारा पर हुआ नही
और क्या हुआ जो वो हमारा हुआ नही
हमने सुना है, जो होता है अच्छा होता है
तो क्या हुआ जो हमने चाहा वो हुआ नहीं

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23 JAN 2023 AT 0:38

ख़ुद को समझना यहाँ कितना मुश्किल है निशांत,
दूसरा कोई समझे तुम्हें ये उम्मीद कुछ ज़्यादा है

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19 SEP 2022 AT 0:50

मेरे जन्मदिन पर सबसे पहले तुम्हारा ख़याल आना
मेरे लिए मेरा सबसे हसीन तोहफ़ा है

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16 SEP 2022 AT 22:56

तक़रीरे पेश करके तुम्हें मनाना नहीं चाहता
मैं तुम्हारा इन्तज़ार तो करना चाहता हूँ
पर बोल कर बुलाना नही चाहता

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29 APR 2022 AT 11:28

अज़ीज़ ना बनाया कर किसी को इतना भी ऐ ख़ुदा
हर किसी की अपनी ज़िन्दगी है
हम क्यों अपने मोह में किसी और को परेशान करे

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29 APR 2022 AT 0:53

मैं समझता हूँ कि, जो तुम्हें समझता है
उसे बोल! कर समझना परें, ये बात कुछ समझ नहीं आती

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