बस याद रहे कि अंधेरा मिटाना नहीं होता, दीप जलाना होता हैं
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अंधेरा घना हो फिर भी मुस्कुराएगा,
वो कृष्ण ही है जो प्रेम में राधा हो जायेगा-
एक हुजूम से मिल कर आया हूँ मैं, और ये पाया कि यहाँ अपने सिवा कोई अपना नहीं
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तेरे साथ बैठ कर जो थोड़ी गुफ्तगू हो जाती,
ना जाने हमारे कितने काश का हिसाब हों जाता-
होना था बहुत कुछ गवारा पर हुआ नही
और क्या हुआ जो वो हमारा हुआ नही
हमने सुना है, जो होता है अच्छा होता है
तो क्या हुआ जो हमने चाहा वो हुआ नहीं-
ख़ुद को समझना यहाँ कितना मुश्किल है निशांत,
दूसरा कोई समझे तुम्हें ये उम्मीद कुछ ज़्यादा है-
मेरे जन्मदिन पर सबसे पहले तुम्हारा ख़याल आना
मेरे लिए मेरा सबसे हसीन तोहफ़ा है
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तक़रीरे पेश करके तुम्हें मनाना नहीं चाहता
मैं तुम्हारा इन्तज़ार तो करना चाहता हूँ
पर बोल कर बुलाना नही चाहता-
अज़ीज़ ना बनाया कर किसी को इतना भी ऐ ख़ुदा
हर किसी की अपनी ज़िन्दगी है
हम क्यों अपने मोह में किसी और को परेशान करे
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मैं समझता हूँ कि, जो तुम्हें समझता है
उसे बोल! कर समझना परें, ये बात कुछ समझ नहीं आती-