उसे कहीं मुझसे प्यार ना हो जाए
इसलिए उसने बातें करनी छोड़ दी,,
मुझे डर था कहीं प्रेम दिख न जाएं
इसलिए मुलाकातें करनी छोड़ दी..
दोनों ने एक दूजे को छोड़ा,,,
पर कोई भी प्रेम छोड़ न पाएं,,
उसने हिचकियां खानी छोड़ दी
मैने भी अपनी यादें दिलानी छोड़ दी..!!
*®~ निशान्त जैन"शुभ"*✍️💔-
नादां हूं नासमझ हूं पर बेचारा नहीं हूं में...
मां ... read more
हां में भारत बोल रहा हूं....,,
पहली बार ऐसा लगा कि में हार गया
मेरा रुतबा मेरा सम्मान बेकार गया
जब कमज़ोर से लड़ा रहे थे तो सीना ताने वार किया,,
मध्यस्थता में बड़े आ गये तो क्यों हमें पुचकार दिया..,
माना कि गुस्सा ओर युद्ध सही नहीं
पर यूं इंसाफ करना भी सही नहीं
दिल बड़ा रखते हे माफ़ तो हम कर देंगें
पर दगाबाजों पर दया दिखाना भी सही नहीं..
कौन यक़ीन करेगा फिर आक्रमण ना होगा
मेरी इस जमीं पर किसी का मरण ना होगा
ये दोगले हे लोग इन पे कैसे भरोसा करें,,
तुम्हें लगता है अब आगे मेरा हरण ना होगा..
इस तरह से अंत होगा मैने सोचा नहीं था,,,
गुस्से में भी शांत होगा मैने सोचा नहीं था..!!
तुम्हारे फैसले को तोल रहा हूं,,,,
हां में भारत बोल रहा हूं...!!-
बंद आंखे है और लब खामोश हो गए
दोनों ही दिल की धड़कनों में खो गए
अहसास हुआ तुम्हारी छुअन का दिल पर,,
आहिस्ता आहिस्ता हम भी मदहोश हो गए...!!🤭🥰-
ये दिसंबर की ठिठुरन भरी सर्द राते
सरसराती ठंडी हवाएं ओर तुम्हारी बातें
उदासी भरी शाम उस पर तुम्हारी ये खामोशी
धुंधले रहे मंजर गिर रहे पत्तों पर छाई उदासी
ढलते सूरज की वो लालिमा सी झलक
रात के अंधेरे में ओट में छुपे चांद की चलक
'शुभ' ये सब जो मंजर हे मुझे बेहद पसंद है,,
ऐसा ओर भी बहुत ये ये तो बस चंद(नाममात्र) है...!!🙈-
आयो रे आयो रे आयो रे पंचकल्याणक महा महोत्सव आयो रे
छायो रे छायो रे छायो रे आनंद ही आनंद चहुं ओर छायो रे
💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫
बरवाड़ा की पावन धरा पर सबको आना है
छोटे से इस गांव का नाम बढ़ाना है
मिल जुल कर चलो सभी से ये कहना है,,
खूब किए हे पाप चलो अब पुण्य कमाना है..
ढोल बजाओ ओर गीत सुनाओ खुशियां मनाओ रे,,,,
आयो रे आयो रे........!!!
देखो देखो देखो कितना सुंदर मंदिर बना है
सब फीके हे इसके आगे ये तो ख़ुद में फना है
साक्षात् विराजे शांतिनाथ जी इस मंदिर में,,
कोई तो बताओ यार हक़ीक़त हे या सपना है...
पूजा कराओ ओर अर्घ चढ़ाओ आरती गाओ रे,,,,,
आयो रे आयो रे......!!!!
परम पूज्य आचार्य इन्द्रनन्दजी ने आशीष दिया हे
साथ ही बालाचार्य निपूर्णनन्दी जी ने आदेश किया हे
दिसंबर माह की 6 से 11 तारीख भूल न जाना,,
हर्षोल्लास से पूर्ण करने का सकल जैन समाज ने ठान लिया है...
ना खुद को रोको उठो झूमो नाचों गाओ रे,,,,
आयो रे आयो रे....!!-
अम्मा,,
एक खत लिखा हे तुम्हारे नाम
तुम्हें पढ़ के सुनाना है,,,
तुम्हें गए इतने वर्ष बीत गए तुम्हें
किसी रूप में तो लौट के आना है....,
तुम तो चले गए पर सच यही है तुम्हारी कमी तो आज भी रहती हे
बड़े सलाह किससे ले सोचते है हमारी आंखें कहानी सुनने को तरसती है
अब घर में नन्हें बालक ओर हो गए है वो तो हमसे भी ज्यादा शैतान है
जब वो अपनी दादी के झूमते हे तो याद आती हमने कितना किया परेशान है
तुम्हारे सब बेटे बहू तुम्हारे आशीर्वाद से फल फूल रहे है
ओर हम पोते भी तुम्हारी यादों के झूले में मानो झूल रहे है
तुम्हारी बड़ी बिटिया ने तो पुण्य के भाग से तुम्हें ओर बड़ा कर दिया है
इस संसार रस को तज कर खुद को मोक्ष के मार्ग में खड़ा कर दिया है
तुम्हारे बाद घर में उत्सव तो होता है पर आंखे नम सी रहती है
हर सुख में पहले तुम्हारी याद आती है खुशियां तो रहती है पर कम सी रहती है
हम सब तो यहां सकुशल हे "प्यारी अम्मा"
आशा है तुम भी देवलोक में परमानंद में होंगे,,,
हम सब पर अपना आशीष हमेशा बनाए रखना
तेरा पोता 'शुभ' नादां हे गलती हो तो माफ़ करना..!!👏👏
*दादी की पुण्यतिथि पर उनके चरणों में स्वरांजली*✍🏻👏-
"रिश्ते"
बड़े नाज़ुक होते है हल्का सा दबाव उसे तोड़ देता हे
तुम्हारा विचार,व्यवहार की खींचतान सब छोड़ देता हे
पैसे की अकड़ मत रखो यार कोई साथ नहीं देगा तुम्हारा,,
परिवार ही हे जो हर मुश्किल में विपदा को मोड़ देता है..!!-
बड़े अजनबी से हो गए हे यार मेरे,,,
कि मेरे शहर में होकर भी मिला नहीं करते...!!
जो बाते करते थकते नहीं थे कभी हमसे,,
वो अब कोई शिकवा नहीं करते कोई गिला नहीं करते..!!-
तुम्हें कहीं उड़ा ले चलूं ऐसा मेरे पास कोई विमान नहीं
उठा के भी तुमको घुमा सकूं इतनी भी जान नहीं
वैसे तो खूब हंसी- मजाक की दोस्ती में हमने,,
पर तुम्हें इजहार कर सकूं इतना भी आसान नहीं...!!-
अपने ही काम में व्यस्त हे सभी फुरसत किसी को नहीं
अपने ही मतलब से याद करते हे जरूरत किसी को नहीं
बदलते ज़माने में ऑफलाइन ना सही ऑनलाइन तो मिला करो,,
पर बिन मतलब बात करने की आदत किसी को नहीं...!!-