કાંચળી
અંત આવ્યું અને લોકો ભેગા પણ પડયા,
અશ્રુ વિના મને વિદા પણ કરતા રહ્યા.
આ દેહ ને ક્યાંક સ્થાયી કરવાનું સ્વપ્ન હતું,
પણ લોકો આજ, આ આકાર ને નિરાકાર બનાવતા ગયા.
ક્યારેક આ પુદગળ માં લોઇ વેહતું હતું,
પણ માટી હતી, એની જાણ આજે થઇ.
સ્વમાનને જીવનનુ સાધન માણતો હતો,
પણ ફૂલોએ એના પર પણ ચાદર પાથરી લીધી.
સમય સાથે આ કાંચળી હવે પૂરી ઉત્રી ગઈ છે,
હવે બસ આ નિરાકાર, બાળપણની રાહ માં વયસ્ક થઇ રહ્યું છે.-
पर्दा
कल तक हम यही सोच रहे थे,
सच्चाई हमे आज़ाद कर देती है,
और थोड़ा कुछ ज़िंदगी में पाना है,
मेहनत हमे वह हासिल कराती है।
पर आज मुझे कुछ आभास हुआ,
मेरी फितरत ही आज़ाद है,
बस भ्रम की जंजीर कुछ विलंब से टूटी,
और जब यह एहसास हुआ,
वह धुंधली सी सफल मेहनत भी नाकाम लगने लगी,
मैं फिक्र से कुछ हासिल करने का व्यर्थ प्रयास कर रहा था,
जब की यहां बंद मुट्ठी से भी रेत फिसल जाती है।-
Love Ballad of an Empress
She gazed at the mirror with her plummeted pride
and smacked the crimson red on her face,
When she strolled the stairs in her satin gown
subjects bowed with gashing fright in their eyes.
Iron barrels and green grenades,
she toyed with it like the mind of a man.
Every dawn she plucked the lilies and tulips
posturing her heart to cease her lamb's whines.
In her ears she heard the rhetoric of classes,
partying with the opulent czars and luxe wine.
While her natives ate the fermented breads
hailing Her Majesty to live long in time.
In her courtyard, once she ordained the council,
to build her tomb, adorn it with roses
feed the local dwellers another sour bread,
and pompously celebrate Her Martyr Day when she was alive.
Her eccentricity had ruptured the sane minds,
while her realm was ripped with fright.
Her councils bowed down to her vehement wishes,
with no subjects braved to partake and mock the last rites.
— % &
At the stroke of supper, when the council and
delusional Her Majesty were deserting the ceremony,
there came a peasant in her white soiled dress
with a muddled bunch of black roses to pay homage.
Her Majesty walked down the aisle to grace the peasant,
Startled to his blue eyes and the callow smile,
Her fractured heart purged momentarily,
and proposed nuptials rendering one of her ancestral rings.
Until her autumn, lunatically she reigned in her kingdom,
and anxiously dreaded her judgement day.
But the native peasant turned into His Majesty,
reigned her forlorn heart, until she heaved her last breaths.— % &-
पैगाम
ऐसे तो हमने कितने खत लिख लिए,
और उनसे जवाब की उम्मीद भी न रखी ।
बस आज दिल ने संभालने की ख्वाइश कर ली
कई कल वह स्याहि लेकर खुद दरवाजे पर दस्तक दे ।
जब उनकी मासूम आखें नजर चुराती है,
उनका यह इतराना भी हमे प्यारा लगता है,
उन्हे मालूम है, हम तो रोज यही रास्ते से गुजरते है,
बस वह रास्ते को अनदेखा कर
हमे एक मुस्कुराहट का तोहफा दे जाते है।
यह कैसा हमारा नाता है, रूखे से यह इश्क में भी
दोनो के दिल को सुकुन मिल जाता है ।
कई दिनों से वह भी मेरे खतों का जवाब बना रही है,
पर उनके शब्द मेरी प्यार की स्याहि से निःशब्द हो जाते है।-
आखें भी कुछ कहती है
सब की आखें कुछ बयान करती है,
खुशियां, उमंग, उल्लास,
दर्द, तन्हाई, और कभी गम ।
हम भी इसी भीड़ के राही है,
इन आखों में हर्ष और वेदना
दोनो को पढ़ने वाला राही भी साथ है !
पर आखें पढ़ना इतना आसान भी नहीं,
कभी उनका इधर से उधर मंडराना,
और कभी भयभीत होकर मुस्कुराना,
तो कभी किसकी आस में सुलझना ।
फिरभी हम सभी के आखों में झांकते है,
वो संवेदना जो बयान नही होती,
उसे जानने की कोशिश किया करते है।
बस वक्त लग जाता है समझने में
आखें जो बयान कर रही थी
उसे शब्द की परिभाषा देने में ।
हमारी कोशिश का एहसास
उनके आखों में समाया भी होगा,
बस वह मानना नही चाहते,
और हम उनके आखों से हारना ।-
आखें भी कुछ कहती है
सब की आखें कुछ बयान करती है,
खुशियां, उमंग, उल्लास,
दर्द, तन्हाई, और कभी गम ।
हम भी इसी भीड़ के राही है,
इन आखों में हर्ष और वेदना
दोनो को पढ़ने वाला राही भी साथ है !
पर आखें पढ़ना इतना आसान भी नहीं,
कभी उनका इधर से उधर मंडराना,
और कभी भयभीत होकर मुस्कुराना,
तो कभी किसकी आस में सुलझना ।
फिरभी हम सभी के आखों में झांकते है,
वो संवेदना जो बयान नही होती,
उसे जानने की कोशिश किया करते है।
बस वक्त लग जाता है समझने में
आखें जो बयान कर रही थी
उसे शब्द की परिभाषा देने में ।
हमारी कोशिश का एहसास
उनके आखों में समाया भी होगा,
बस वह मानना नही चाहते,
और हम उनके आखों से हारना ।-
ए इश्क,
कभी तुमने अपनी मंजिल सोची थी,
कब्र को भी किसी दिन
कोई फूलों से सवारता होगा,
और आज तेरे जनाजे में
गुलशन भी मुर्जा गया है।-
सांस
इन सांसों पर इतना इतराना भी फिजूल है,
बिना कोई एहसास से, वह जिंदगी सवारती,
और उसके रुकने पर, जिंदगी सेज पर थम जाती।
इन सांसों से चाहत करना भी नकारा है,
बिना कोई संघर्ष, वह जिदंगी सहनशील बनाती,
और कभी हरारत हुई, कपूर बनकर पिघल जाती।
इन सांसों के बिना सफर भी मुश्किल है,
और उन पर यकीन भी करना आसान नहीं,
जो खुद के भरोसे के लायक भी नही।
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It's only when we reflect on our lives, we realise God has the best sense of humor. Thank God ! You have a sense of humor
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