पतंग से लो, सिर्फ इतना ही ज्ञान
ख़ाक होने से पहले, छूलो आसमान
© निषाद भिड़े-
ऐसे ही नहीं बन जाती, प्यार वाली कहानियाँ
दोनो के दिलों में, कुछ तो ख़ास होता है
फिर दूरियाँ चाहे, जितनी ही सही दरमियाँ
मिलन का विश्वास ही, रिश्ते का श्वास होता है
©निषाद भिड़े-
मैंने उसकी बातों को तब, बड़े ही ध्यान से सुन लिया
उसने बातें कहने का जब, नायाब सलीक़ा चुन लिया
उन लम्हात की, बात ही क्या, कहूँ मैं अब
उसने फ़क़त ही 'स' कहा, औ' मैंने 'सपना' बुन लिया
©निषाद भिड़े-
आंसुओं से धोकर, रेखा अपने हाथों की,
किसी गैर ही का मुस्तक़बिल हो चुकी है।
- निषाद भिड़े-
पुनवेचा चंद्र―
ती पाहते दुग्धपात्रात
मी तिच्या स्मितहास्यात
©निषाद भिडे-
बुरे का अंत ना सही, चलो, अच्छाई और बढ़ाते है
आत्मा रूपी राम को, आओ, विजयी हम बनाते है
©निषाद भिड़े
०५/१०/२०२२-
फैसला उसे ही कर लेने दो, पर्दा हो या बेपर्दा
शक्तिरूपा जाग उठी तो, हो ना जाये सब गर्दा
©निषाद भिड़े
२६/०९/२०२२-
चाय पर मरने वाला, कॉफी पिये जा रहा हूँ
कुछ इस तरह तुझसे, दूर जिये जा रहा हूँ ।
Full poem in caption...
© निषाद भिड़े
१३/०६/२०२०
-
ना जाने उस ‘छिछोरे’ से, कैसा रहा हैं ‘राब्ता’
‘पवित्र रिश्ता’ रखकर उसने, की कई ‘गुस्ताखियां’।
Full poem is in caption...
©निषाद भिड़े
१४/०६/२०२०-