गर मुल्तबी हो तूम गम से कभी हमारे,
मुनासिब समझो तो खुदको भी गुनहगार समझ लेना....🖤🖤-
kafi wqt se koi post naa kr pane ke liye 🙏
Phone tutne ki wjh se post nhi ho paayi.
Fr se yq family me aakr bhut khush hu❣️-
"कपट भरा गर मन में तेरे वह प्रेम का वाश असंभव है,
निर्लज्ज हो कोई नारी अगर वहां कुल का नाश निश्चय है,
रखे लाज की पगड़ी ऊपर वो नारी सबसे उत्तम है,
परिवार सर्वोपरि रखे पुरुष वही सर्वोत्तम है,
कुल का विनाश शुरू हुआ जब नारी पुरुष के अधीन हुई,
और कुल की निष्ठां आहात हुई जब भी नारी स्वाधीन हुई,
परख पुरुष की साध के रखे वो नारी गुण की खान है,
समझ सके अपनी नारि को ऐसा पुरुष महान है"-
अगर बहनें नहीं होंगी तो तेरी उदासी कौन बाँटेगा,
और रक्षाबंधन के दिन भाइयो को राखी कौन बांधेगा,
तू सबसे अलग है थोड़ा सा,
है नटखट लेकिन ज्यादा सा,
तू बहन सी मुझको लगता है,
जब जब किसीसे तू जलता है,
तेरी नादानी बहुत परेशान करे,
तुझ बिन जीवन सुनसान लगे,
जब कभी रोका टोका करता है,
बड़ा भाई सा उस दिन लगता है,
मुझे खुश रखने को लाखों जतन तू करता है,
फिर मै डॉटु तो मुझसे ही लड़ता है,
जब भी मैं उलझन में होती हूँ,
तू लाखो तरकीब बताता है,
जब भी तुझ पर चिलाऊ मै,
तू बस थोड़ा मुस्काता है,
मेरे जीवन के दुखो में तू ना जाने कब भागिदार बना,
जब भी मुझे जरुरत थी मुझे हमेशा तू तैयार मिला,
मेरे जीवन का नमक है तू,
तुझ बिन जीवन बहुत ही फीका है,
सब आते जाते रहते है पर तू तो मुझ में जीता है.
कुछ लफ़्ज़ों में जो आ जाये तू ऐसा शख्स नहीं लगता,
तुझे लिख पाऊं पूरा मै ऐसा मेरा किरदार कहा,
तेरे दुःख को मैं दूर करो बस ऐसी कोशिश करती हूँ,
सबसे नहीं लड़ सकती जब तभी बस तुझसे लड़ती हूँ,
सबकी बातों का फर्क नही चुपचाप बस इसलिए रहती हूँ,
भाई तू बेशकीमती है तुझको खोने से डरती हूँ,
"HAPPY BHAI DOOJ"
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"ना जाने क्यों ना- क़ुबूल हो रही दुआएं मेरी,
एक तुझे मोहब्बत करके बहुतो का दिल
दुखा दिया हमने"🖤🖤-
अल्फ़ाज़ लिखने को थी दर्द की ज़रूरत हमें,
खुदा ने सलामत रखा वरना तेरे दिए दर्द से
तो हम मर ही गए होते.....🖤-
"मैंने हमेशा तुझे पढ़ा,तुझे लिखा,तेरा ही ऐतबार किया,
वो तेरे ही अपने थे जिन्होंने हाल से बेहाल किया."-
काश तू फिर से मिल जाये मुझे उस दाग के बैगैर,
तू सस्ता सा हो गया उस हादसे के बाद.🖤🖤-
"एक गलती हम बार बार कर गए,
दूर पड़े उस पत्थर को आम समझ लिया,
टकरा कर गिरती फिर उठ चल देती,
गलती तो हमेशा तेरी थी और पत्थर को
हम इलज़ाम करते गए,
शायद यही गलती हम बार बार करते गए,
शब्दों का बहुत है मीठा तू ,
इसी वजह से हम तुझ पर ऐतबार करते गए,
शायद फिर से यही गलती हम एक बार कर गए,
अपनी मन की बातों को लिख कर सरे आम करते गए,
हर दिन हर पल हर घड़ी तुझे मुकाम कह गए,
और फिर वही गलती हम बार बार कर गए..♥️💙-
हमने ठुकरा दिए,
कुछ कीमती लम्हें ,
कुछ ख्वाइशें,
कुछ हसरतें,
कुछ मुक्कमल हो चुकी रवायतें,
कुछ अलग किस्म की मुस्कुराहटें,
हमने खोया बहुत कुछ ऐ ज़िन्दगी,
अपनों में होने लगी हमें गैरों की आहटें,-