निशा कमवाल   (Nisha✍️)
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Joined 12 May 2020


Joined 12 May 2020

उम्र के तक़ाज़े में दूरी  भी  लाज़मी है,
कौन ही होगा जो ताउम्र साथ निभाये,

ख़ूनी रिश्तों में भी समझदारी आ जाती है,
सोचते है क्यों ही फ़क़त किसी के घर जाये,

वक़्त के तराजू में  मतलब ही रह जाता है,
मतलब आने पर गधे को भी बाप बनाये।

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जिस प्रकार स्त्री अलंकरण से ,
अंग अंग सजाती है,
वैसे ही एक कविकार शब्द रूपी
अलंकरणों से कागज़ सज़ा,
कविता को रचता है।

🙏विश्व कविता दिवस🙏

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बेगैरत  है वो  लोग जो हमे समझ न पायें,
क्या है हम ये अब उन्हें हम कैसे समझाये,

हज़ार  नादानियों  से  मन को दुखा देते है,
सब समझ आता है उन्हें  अब कैसे बताये,

उभरता  सितारा आखिर किसे ही भाया है,
पीड़ ये  अंतस  की  अब  किसे हम सुनाये,

सब  तो नही मेरे हाथों  में कुछ  वक्त का है,
जब तक जा नही सकते पहले कैसे लौट जाये,

उद्देश्य तक पूछ है हमारी ऐसी ये दुनियादारी,
पग पग पर हर कोई यूँ हमें है आजमाये।।।

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न जाने ये जमाना अभी क्या क्या औऱ कहेगा,
गाड़ी ट्रैक पर आ गई बस कुछ वक़्त औऱ लगेगा,

प्रयासरत रही तो तजुर्बों का भी अधिकरण हो गया,
बस ऐसे ही बढ़ती रही तो अपना भी सिक्का चलेगा।

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हे!अंनत माँ ज्ञानदायिनी सुविवेक का सार दे,
पल्लवित हो कण कण इस संसार को तार दे,

गूँज उठे ये चारों दिशाएँ मनिषियों के  राग से,
ज्ञान संज्ञान के भेद का नित नित सुविस्तार दे

सुसरस सुकाव्य को रच सकूँ ऐसा  आधार दे,
गूढ़ से प्रज्ञा का ऐसा "माँ" ज्ञान का उपहार दे,

विश्व गुरु सा अटल हो मेरा प्यारा हिन्द स्वराज,
भारतभूमि के धरोहर साहित्य को ऐसा उद्गार दे,

वाणी ऐसी जो सरस हृदय को उद्वेलित कर दे,
हे माँ शारदे समस्त सकल सृष्टि को झंकार दे।

मन मनोभावों से सरोबार  भावुक संवेदना हो,
प्रत्येक जन जन को अपना आशीष व प्यार दे।

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नायाब फ़रिश्ते सा  उसमें  गज़ब का  नूर है,
वस्ल की आस है अफसोस वो मुझसे दूर है,

सोच के कई मायने होते होगे सोचते रहते है,
पर मेरी हर सोच में सिर्फ़ एक ही  फितूर  है,

कोशिश हज़ार हुई हर कोशिश दरख्वास्त है,
मेल मिलते रहे वक़्त भी  कितना मग़रूर है,

ख्वाब  ख्वाहिश  सपनों में एक ही शख्स है,
क्या इशारा करे  जी हाँ, आप ही वो हुजूर है,

इम्तिहान सारे मिटा दूं पर वक्त नही मेरे साथ,
बस कुछ ख़ास के कारण आज हम मजबूर है।

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बिन कहे सब बयाँ हो  जाता है ऐसी तहरीर है,
देख कर ही जी लेते है मिरे पास तेरी तस्वीर है,

ख़्वाहिशों से भरी शानदार मिल्कियत मिल गई,
ऐसी खट्टी मीठी यादों से भरी मेरे पास जागीर है,

दुनिया की नजरों से बचाये रखेंगे इस साथ को,
कभी ना टूटे कभी न छूटे ऐसा ये साथ बेनजीर है।

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आपसे मिलने के बाद जिंदगी जीने की वजह हो गई,
मिलने की उम्मीद न थी मिल गये रब की रज़ा हो गई,

मांगा  था  रब  से  दुआओं  में  हर पल हर पहर तुम्हें,
मिल गये आप हमें आखिर मेरी दुआ भी अदा हो गई

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अफसोस ये नही की सबसे इस्तेमाल हो जाते है,
ग़ुरूर है जहाँ जाते है चर्चे  बेमिसाल  हो जाते है,

फ़ितरत कभी नही रही किसी को निराश कर दूं,
मेरे ही हाथों किसी की उम्मीद को हताश कर दूं,

ख़ुद काफी हूँ ख़ुद को खुद्दार इस कदर बनाया है,
कैसे निखारू ख़ुद को हर तरक़ीब को आजमाया है,

हर दिन कुछ नया सीख ख़ुद को विद्यार्थ दिया है,
नवाचारों से इस पेशे को एक  नया अर्थ दिया है,

भावनाएं मेरी कभी तटस्थता की औऱ नही होगी,
कभी नही भटकूँगी राह गर मेरी सदैव सही होगी।

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