नायाब फ़रिश्ते सा उसमें गज़ब का नूर है,
वस्ल की आस है अफसोस वो मुझसे दूर है,
सोच के कई मायने होते होगे सोचते रहते है,
पर मेरी हर सोच में सिर्फ़ एक ही फितूर है,
कोशिश हज़ार हुई हर कोशिश दरख्वास्त है,
मेल मिलते रहे वक़्त भी कितना मग़रूर है,
ख्वाब ख्वाहिश सपनों में एक ही शख्स है,
क्या इशारा करे जी हाँ, आप ही वो हुजूर है,
इम्तिहान सारे मिटा दूं पर वक्त नही मेरे साथ,
बस कुछ ख़ास के कारण आज हम मजबूर है।
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