NISHA KUMARI   (Ash Ink)
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Joined 23 September 2019


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Joined 23 September 2019
21 FEB 2022 AT 3:50

कुछ दुश्मनों कि वजह से वो दोस्तों को भुला बैठे
अदावत कि रस्म निभानेवाले अपनों को गवां बैठे
जिन्हें फर्क नहीं दिखता अपने और पराये कूचों का
गैर गलियों में घूमते घूमते अपना ही पता गुमा बैठे

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28 OCT 2021 AT 16:38

तेरी शख्सियत में कुछ तो बात होगी...
कभी मरने को तैयार बैठा एक भुला बिसरा सा दोस्त
तुझे जाते जाते अपना आखिरी सलाम भेजता है

और कभी ज़िन्दगी सी रूठ दूर बैठ कोई अनजान
तेरी रचनाओं में खुद के लिए आखिरी पैगाम खोजता है

जीयूँ या मरूं लिख भेजना कि कोई तेरी
बातों में खुद के लिए सपने तमाम देखता है

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17 FEB 2021 AT 21:46

शाखों पर पत्तों के मौजूदगी का एहसास
हर एक दरख़्त बयां करती है

ख़िज़ाँ जाते वक़्त तलक बहार के आने का
बेसब्र हो इंतज़ार करती है

एक ज़माना हुआ यार से यारी की
दास्ताँ का हश्र सुनते हुए

अब तो हर साँस मेरी चाहत के बदलते
मंज़र का दीदार करती है

रास्ते भी हैं और वास्ते भी, पर जनाब
मोहब्बत कब रुख़सती के हिसाब रखती है





कहनेवाले ने ख़ूब कहा है गम-ए-ज़िन्दगी पर
यहाँ बस सुबह ही नहीं शाम भी हैं

वकालत करो या तिज़ारत पर याद रखना
उन कई गैरों में कुछ अपनों के नाम भी हैं

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23 JAN 2021 AT 8:37

And so am I.
But then every now and then
my silence gets drifted
With the slightest tremble of leaves
Touching my window when touched by cool breeze.
Reminding me of the thunder
Rising amidst the tempest of my heart.
Surpassing the calmness of this chilly weather
It silently attempts topenetrate my soul
Drenched with tears my eyes sees the skies above
Allowing the silence to once again absorb
All my agony and the tormenting storm within,
With a promise to return and leave again till I am alive.

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22 JAN 2021 AT 23:44

दिल के जख्म
समय के साथ
भरते नहीं
और भी गहरे
हो जाते हैं......
.....पर जख्म
देनेवाले को
भला इस से
क्या वास्ता


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22 JAN 2021 AT 18:35

Someone said-
'Man is a slave of circumstances',
I believed it hold true for both men & women....
....unless I experienced
'Woman is a slave of her CHOICES'.
First she rejects a lot
...then she chooses one.
And then she finds out,
that the things she rejected in past
is present in her choosen one too...
....and hence she feels dejected
for rejecting others.
But still stays with the choosen one
as if she was a born slave...
Not even when she gets enough reasons
to fly away from his captivity
that people call HOME.

Phew....quite absurd

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22 JAN 2021 AT 16:31

पिंजरे खुल भी जाएं अगर,
ऐ दिल बता जो खुद ही चुना,
उस क़ैद से खुद को रिहाई कैसे दूँ ।

आज छोड़ दूं ये जहाँ भी मगर,
बिना उम्मीद साथ चलनेवाले को
जाते जाते गम-ए-जुदाई कैसे दूँ ।

महफिल तेरी थी बस मेरी डगर,
कोई और तेरे तबस्सुम और तस्सबुर में,
तू ही बता तुझ जैसी बेवफाई तुझे कैसे दूँ ।

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19 JAN 2021 AT 8:06

वो सवाल, वो जवाब,
वो झूठा सा शर्म का हिजाब,

उन्हें हो न हो, गम नहीं,
हमें है उनसे प्यार बेहिसाब,

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17 JAN 2021 AT 16:47

यादों की उन तंग गलियों में वक़्त बेवक़्त जाया न करो
इन अश्कों को खा़मखा़ह यूँ ही तकिये पर बहाया न करो
तन्हाइयों के मंज़िल ले जाना राह-ए-वफ़ा का दस्तूर रहा
खुदा है वो यही सोच कर उनकी गलतियां निकाला न करो

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15 JAN 2021 AT 13:51

बड़ा हसीन इत्तेफ़ाक़ होता होगा, इश्क़दारी में ये धोखा
वफ़ा के पुराने वादों को तोड़ो, थोड़े नये इरादों को जोड़ो

किसी को पता न चले तो बस मज़ा ही मज़ा है
अगर चल जाये तो भी इसकी कौन सी सजा है

बस कह दो- मेरा रब जानता है मेरा दिल पाक है
न शक कर मुझपर, मेरा दामन बिलकुल साफ है

खुद आ कर जो तुम कहते की कोई और गलत है
उससे कहते की मेरे इश्क़ से कहाँ तुम्हे मोहलत है

तो भला क्यूँ नहीं मैं तेरे हर लब्ज को सच मानती
फिर ज़माने ने जो बताया वो राज भी नहीं जानती

फ़ना लहू का हर कतरा तेरी मासूमियत पर किया
खैर सही ही किया की मुझे धोखे का तोहफा दिया

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