किताबों से नहीं मैंने रास्तों के ठोकर से सीखा है...
मुश्किलों में भी हंसना मैंने अपने पापा से सीखा है....!
किसी स्कूलों में नहीं मैंने अपने घर में ही सीखा है...
अपनी तकलीफों को भुलाकर सबको खुश रखना मैंने अपनी मम्मा से सीखा है...!!🥰
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"जाने क्यूं अब शर्म से, चेहरे गुलाब नही होते।
जाने क्यूं अब मस्त मौला मिजाज नही होते।
पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।
जाने क्यूं अब चेहरे, खुली किताब नही होते।
सुना है बिन कहे दिल की बात समझ लेते थे।
गले लगते ही दोस्त हालात समझ लेते थे।
तब ना फेस बुक ना स्मार्ट मोबाइल था
ना फेसबुक ना ट्विटर अकाउंट था
एक चिट्टी से ही दिलों के जज्बात समझ लेते थे।
सोचती हूं हम कहां से कहां आ गये.....
प्रेक्टीकली सोचते सोचते भावनाओं को खा गये।
अब भाई भाई से समस्या का समाधान कहां पूछता है
अब बेटा बाप से उलझनों का निदान कहां पूछता है
बेटी नही पूछती मां से गृहस्थी के सलीके
अब कौन गुरु के चरणों में बैठकर ज्ञान की परिभाषा सीखे।
परियों की बातें अब किसे भाती है
अपनो की याद अब किसे रुलाती है
अब कौन गरीब को सखा बताता है
अब कहां कृष्ण सुदामा को गले लगाता है
जिन्दगी मे हम प्रेक्टिकल हो गये है
मशीन बन गये है सब इंसान जाने कहां खो गये है!
इंसान जाने कहां खो गये है....!-
गजब चमत्कार हैं भगवान के भी....
आंखे हमें black-in-white देते हैं और सपने रंगीन दिखाते हैं.....😍-
पूरा सच जानें बिना किसी के बारे में अपनी राय बना लेना और उसे गलत समझ लेना कङवे जहर के समान होता है......
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नहीं करनी मुझे शादी न होना मुझे पराई है..
कैसे मैं तुमसे दूर रहूंगी मां, सोच आंख भर आई है।
सुन कर बेटी की बात मां धीरे से मुस्काती है..
पास बुला बैठा प्यार से उसको कुछ समझाती है।
ये रीत पुरानी है बिटिया जिसे हम सबको निभाना पड़ता है...
आज नही तो कल बेटी को उसके अपने घर जाना पड़ता है।
ये सिर्फ तुम्हारी नही यहां हम सबकी यही कहानी है...
जिसे बड़ा किया अरमानों से वो बेटी एक दिन ब्याही जानी है।
अपनी क्षमता से ज्यादा हम वर तुम्हारा ढूंढेंगे...
कह रही हो जिन्हे पराया वो हमसे ज्यादा तुम्हें खुश रखेंगे।
पिता सारी बाते सुन मुस्काते है...
फिर अपनी प्यारी सी परी को धीरे से समझाते है।
इस घर में प्यार पाना तुम्हारा हक है और उस घर में प्यार देना तुम्हारी जिम्मेदारी है।
जब तक तुम इस बात को अमल करोगी दोनो घर हमेशा खुश रहेंगे।
इस घर से जितना स्नेह मिला उस घर को भी उतना ही देना ....
गुस्से में कोई कुछ कह भी दे तो भी तुम दिल पर मत लेना।
जो आभूषण जहां के लिए बना उसी जगह पर सजता है..
नए लोगों के बीच जगह बनाने में बिटिया थोड़ा वक्त तो लगता है।
डोली में कर रहे विदा बस अब अर्थी में वापस आना..
कभी हृदय आहत भी हो तो भी तुम खुद को समझाना।
धीरे धीरे एक दिन तुम उसके रंग में रंग जाओगी..
इस घर के लिए पराई और उस घर का हिस्सा बन जाओगी।।😊
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प्रेम
प्रेम की ना कोई भाषा , ना कोई रंग , ना रूप
प्रेम सहज है , प्रेम सरल है , प्रेम सदैव अनूप ,
जुड़ जाते हैं हृदय के तार प्रेम के बंधन में
दिखती बस उसकी सूरत देखू जब दर्पण में ,
ना रह जाती कोई चाह , सच्चे प्रेम में ,
बिना मोल ही बिक जाते किसी के स्नेह में ,
राधा कृष्णा शिव गौरी वाला प्रेम जगा लूँ ,
मिल न सकू तो भी मैं तुममें ही सब पा लूँ ,
सच्चे प्रेम के भाव तो नैनों में आ जाते हैं ,
सच है कि सच्चे प्रेमी कभी नहीं मिल पाते हैं ,
प्रेम लगे हैं बड़ा सरल, पर कठिन इसे निभाना
खोकर प्रिय को भी महसूस किया प्रिय का पाना ,
प्रेम हमारा इंद्रधनुष सा आसमान में खिल जाए ,
पा लूँ जन्नत मैं जो तेरी एक झलक मिल जाए ,
नहीं चाहिए तन तेरा, हाँ मन बस मेरा हो ,
तेरे हृदय के एक कोने में मेरा हीं बसेरा हो
खुली आँखों से जग देखू, जब भी सवेरा हो
बंद आँखों के सपनों में , बस तेरा ही डेरा हो । ।-
ख्वाब बनकर आपकी आँखों में रहना चाहती हूँ ....
दिल बनकर आपके सीने में धड़कना चाहती हूँ .... हाँ..ख्वाहिशें तो बहुत हैं मगर ,
आज एक अरमान सुनाना चाहती हूँ ....
जो हो शुरू और ख़त्म आपके नाम से ,
मैं वो ज़िन्दगी जीना चाहती हूँ ....
हाॅं..मैं वो ज़िन्दगी जीना चाहती हूँ | "-
यूं तो कोई सबूत नहीं है कौन, किसका क्या है ? ये दिल के रिश्ते तो बस यक़ीन से चलते हैं ...!!
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मैं सारी जिंदगी मेहनत करके आत्मनिर्भर रहना पसंद करूंगी ताकि कोई मुझसे कभी ये ना कह सके कि मैं ना होता तो तुम्हारा क्या होता..
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I'm over on you starting my life again but everytime I look back, I wonder where hell I did wrong....😒
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