क्यूंकि,
प्यार का मतलब डराना नहीं,
प्यार का मतलब दर्द देना नहीं,
प्यार का मतलब चिल्लाना नहीं,
प्यार का मतलब धमकाना नहीं,
प्यार का मतलब ज़ख़्म देना नहीं,
प्यार का मतलब चोट पहचाना नहीं,
तो शायद अच्छा ही हुआ ना,
प्यार का मतलब ऐसे साथ निभाना तो नहीं...-
हमें बचपन में माँ-बाप थोड़ा डांट देते थे तो हमें कितना अभिमान होता था- हम उनसे गुस्सा हो जाते, उन पर चिल्लाते, खाना नहीं खाते, घर छोड़कर दोस्तों के पास चले जाते, उनसे लड़ाई करके अपने कमरे में चले जाते, कयी दिन तक उनसे बात नहीं करते...
लेकिन ससुराल में हम चुप करके हर चीज सह जाते , वहाँ हम किसी को न जवाब दे पाते और न ही गुस्सा दिखा पाते- हर ज़ख्म को चुप से सह जाते है |
कभी सोचा है क्यूँ?-
लोग कहते हैं कि इस तरह पागल ना बनूँ,
मैं कहती फिर क्या करूँ|
जो सात फेरे तुझ संग ली थी मैंने,
इतना कमज़ोर हो गया कैसे|
कल तक जिसे तू अपनी संगिनी कहता,
आज कैसे कह दिया तूने कलंकिनी|
जिसे कल तक तू आँखों से ओझल ना होने देता था,
फिर कैसे आज कर दिया खुद से इतना दूर |
अब नहीं मुमकिन एक पल भी तेरे बिना जीना,
क्योंकि यादें तेरी मुझे बस रुलाती है|
अगर नहीं लिखा किस्मत में तेरा साथ,
तो हो जाने दे अब मुझे तुझसे दूर |
साथ लिखा होगा तो मर के भी तेरी ही रहूंगी...
-
गलती तो हुई है,
जो फिर से किसी को चाहने की ज़ुर्रत की है |-
नाराज हो हमसे, कोई बात नहीं,
बस जब परेशान हो जाओ हमसे,
तो इत्तिला कर देना |-
तुझे याद तो मैं हर अपने साँस के साथ करती हूँ,
लेकिन तुझे तेरी गलतियों का एहसास कराना भी तो ज़रूरी है।-
जिंदगी में तुम्हें बहुत से लोग मिलेंगे।
कुछ खुशी देने के लिए मिलेंगे तो कुछ दर्द देने के लिए।
कुछ अपना बनाने के लिए मिलेंगे तो कुछ इस्तेमाल करने के लिए।
कुछ जिस्म से खेलने वाले तो कुछ जज्बातों से खेलने वाले भी मिलेंगे।
सबसे मिलना लेकिन खुद को कमज़ोर मत करना।-
तुम मिले तो एहसास हुआ, मै भी प्यार के काबिल हूँ।
क्या तुम्हारा साथ मेरे ज़िन्दगी मे इतना ही लिखा था ?-