Rade in caption
🍁-
|।प्रकृति: रक्षति रक्षिता।|
:અપો દિપો ભવ:
🍁અલગારી🍁
"ઝાકળ ની જેમ વરસુ છું,
ઘનઘોર ... read more
મારી ભીતર યાદોનો એક અલગ ઓરડો છે,
છતાં પણ! આંખોની બારીએ એનું ડોકિયું અવિરત છે.
🍁-
आओ, बैठो जरा! थोड़ा शौक मनालूं उनका,
जिनके परिणाम मेरे संघर्ष से विपरीत रहा।
उसके पश्चात! फिर से में अपने सफ़र का उत्सव मनाऊंगी।।
🍁-
पता है....
कई बार सोचती हूं कि जीवन में कुछ वाक्य ऐसे भी घटित हुए हैं,
जिसे सोचने मात्र से रुह कांप जाया करती थी।
अब वह जैसे जिंदगी का हिस्सा बन गये हो.....
इसके बावजूद भी लड़कर, थक कर, हार कर, फिर खड़ी हो कर...
मुझे इतनी हिम्मत ही नहीं हुई कि मैं,
इन सब से मुंह मोड़ लूं, किनारा कर लूं,
मुझे हिम्मत ही नहीं हुई कभी ऐसी के!
कहीं जाकर ट्रेन की पटरी पर लेट जाऊं!
या फिर किसी पंखे से लटक जाऊं,
क्या फिर लगा दु छलांग छत से!
या कर लूं आलिंगन किसी कुएं का
या फिर अपने होंठों पर सजा दूं किसी विष को!
सच में,
कितनी कमजोर हूं मैं।।
🍁-
સંમણાવોના ઓવારણાં લઈ,ગઈ બાગ-ફોરમ બની,
સજાવ્યો કેશ-ગજરો જે કાજે!
એના વિચારોથી, લોચનીએ ગંગા બની.....
🍁
-Niશા Ahir (ચાંદ)
-
मैं चाहती हूं कि मेरे कुछ ज़ख्म कभी ना भरे!
वह दर्द मुझे जिंदा होने का एहसास दिलाता है।।
🍁-
नाहीं तो मैं अपरिपक्व हूं, और नाही मैं अति आधुनिक,
इस बीच में' मैं एक सुलझी हुई उलझी सी वे स्त्री हूं!
जो समझदारी के नाम पर हमेशा ठगी गई।।
🍁-