वो मुहब्बत की बात करते है,
जो मुँह से बात तक नहीं करते.
-
वो चाहता है कि उसका सज़्दा करूँ, कोई मुस्किल नहीं,
मुश्किल ये है कि वो, खुद को खुदा समझता है…-
उमरे दराज़ मांगे के लाये थे चार दिन,
दो समझने में बीते, और दो मनाने में....
-
तू मुहब्बत से कोई चल तो चल “ज़िंदगी”
हार जाने का भी हौसला है मुझमें
-
ज़िन्दगी के लिए तो सिर्फ सांस काफी है,
मगर जीने में कई वज़ह लगती है.....
-
अब कलम तोड़ें या ख़ामोशी बात तो एक ही है,
फिर लफ्ज बोलें या स्याही जज्बात तो एक ही है..
-
कभी मशरूफ लम्हों में अचानक दिल जो धड़के तुम्हारा,
समझ लेना मोहब्बत का इशारा है तुम्हें हमने पुकारा....
-
तुझसे मुहब्बत का इंतेहा क्या बताएं,
दुआं में सबसे पहले तेरा नाम आता है-
दिल्ली कहाँ गई तेरे कूचें की रौनकें,
गलियों से सर झुका के गुज़रने लगा हूँ मैं..
जाँ निसार अख़्तर-
धर्म भी अब मौत का, सामान बन गया,
ईश्वर अल्ला किस्से पुछूं, क्या इंसान बन गया...-