मन के सुने आँगन में ,
किसने जगमग दीप धरा
बुझते दीपक में ,मेरे
किसने नेह का तेल भरा
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कोई हमारे लिए बुरा सोचता है या हमारा बुरा करना चाहता है, तो ये उनके कर्मों के खातों में लिखा जाएगा। हम क्यूँ किसी के बारे में बुरा सोच कर अपना वक़्त और कर्मों के खातों को खराब करें ।।
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आजकल तेरे मेरे चाय के चर्चे हर जुबान पर
सबको भा गई है और सबको पसंद आ गई
हमने तो चाय में तुलसी रस डाल दिया
चाय के स्वाद में अपना प्यार घोल लिया-
खुद की पहचान बना , प्रेरणा बन लोगों की
न खोना अपना वजूद परछाईं बन दूसरों की
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किस्मत से लड़ने की मैंने ठानी है
जीवन कश्ती विपरीत धारा में जो उतारी है-
शांति की तलाश में
वन वन , पर्वत पर्वत भटकती रही
अंततः मिली वो मेरे ही भीतर
ज्यों कस्तूरी मृग में रहती कस्तूरी-
वर्ष 2020 ......
चला जायेगा मेरे दर से
एक ख्याल की तरह
नहीं भूल सकती मैं उसे
बुरे ख्याल की तरह
कैसे कह दूं अलविदा
अब बीत रहा साल जो
हर गम में देता रहा साथ वो ,
खुशियां लुटाता रहा हर हाल में
नव वर्ष की किरण मे,रात चाँदनी मे,
तुम मिलने आना बन मेरी परछाई
जाते हुए लम्हों नेह धागों में लेना बांध
रिश्ते , कोरोना काल मे बनाये थे हमने
समेट कर रखना हसीं ख़्वाब को
मेरी हर नादान गलतियों को
बन कर रहना तुम मेरी परछाई
बुरा सपना छोड देना अंधेरे मे,
हर पल को जीना उजाले मे,
गुजरते हुए साल तुम रहना
बन कर मेरी परछाई ।
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सुन कर प्रभु नीराजन, नैना दरशन पाय
बूढ़ा पांव मंदिर की ,सीढ़ी चढ़ी न जाय
*नीराजन*--ईश आरती
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