तू कुछ इस तरह मिला
जैसे सालों से बंजर ज़मीन पर
फूल खिले हों जैसे,
बादल जहां का रास्ता भूल गए थे
वहां झूम कर बारिश हुई हो जैसे,
कल तो मैंने तितलियां भी देखी थी
फूलों पर मंडराते हुए,
रात को जुगनू भी चमकते हैं,
और रातरानी की खुशबू से मन भर जाता है,
सोच रही हूं इसी बगीचे के एक कोने में,
छोटा सा घर बना लिया जाए,
घर की देहलीज पर एक विंड चाइम टांगेंगे,
जब जब हवा का झोंका आएगा
तो घर मधुर संगीत से भर जाएगा,
ठीक वैसे ही जैसे तेरे आने से
मेरा जीवन भर गया है सुकून से...
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