निरंजन 'नीर'  
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Freelancer Writer & Poet
Joined 14 January 2017


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15 SEP 2022 AT 10:03

मुझसे दूर चला गया है वो एक अरसे से।
फिर से क़रीब आने को ग़ज़ल कहते हैं।।
मेरे इस दिल की गहराइयों में जो कुछ है।
उसे ठीक से पढ़ पाने को ग़ज़ल कहते हैं।।
वो यूँ तो बहुत दौड़ रहा है ज़माने के साथ।
'नीर' के साथ आने को ग़ज़ल कहते हैं।।
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© निरंजन 'नीर' 15 Sept

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3 MAR 2022 AT 10:59

सुनो ना...
तुम हवा की मानिन्द
साँसों में शामिल हो।
वो पूछते हैं मुझे
तुम जरूरी क्यों हो?
©

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15 FEB 2022 AT 9:06

दुआ भी दी और दिल को रोग दिया।
एक अल्हड़ सी उम्र को जोग दिया।।

© Copyright— % &

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3 SEP 2021 AT 18:08

आसमां साफ है, नीयत नहीं उसकी।
वो बरसता भी है, तो ज़मीन देख के।।
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03 Sept

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16 AUG 2021 AT 22:51

वो झगड़ते बहुत हैं,
बहुत प्यार होगा।
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© Copyright,
16 August

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30 JUN 2021 AT 9:49

क्या जताते हो, क्या छुपाते हो ज़नाब।
आपके असली वज़ूद पर पड़ा है नक़ाब।
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© Copyright 30 June

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21 JUN 2021 AT 20:16

हर बात पर अशआर निकलने लगते हैं,
इश्क़ और रूहदारी में पड़ जाने के बाद।
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© Copyright, 21 June

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15 JUN 2021 AT 21:52

सागर की तरह तुम उठा
लो ना अपनी लहरें।
ले लो ना मुझे अपनी आग़ोश में।
ना तुम रहो अपनी सुध बुध में
और ना मैं रहूँ अपने होश में।।
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© Copyright 15 June

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15 JUN 2021 AT 16:50

सौंधी सी खुशबू उड़ा के लाई है।
बारिश की पहली फुहार आई है।।
मैं तो दूर ही से महसूस कर लूंगा।
जब भी तर हुआ तेरी याद आई है।।
तू नहीं है पर कोई तो भीगा होगा।
मैं हूँ पर भीतर में मेरे तन्हाई है।।
सौंधी सी खुशबू उड़ा के लाई है।
बारिश की पहली फुहार आई है।।
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© Copyright, 13 June

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7 JUN 2021 AT 20:47

बहुतायत है बड़ी लोगों की इस शहर में।
तेरा चेहरा पहने हुए कोई रूबरू आए तो।
मैं अलहदा अहसास जीता हूँ जिस गली।
कोई दरवाज़ा खोले और मुझे बुलाए तो।।

© Copyright, 07 June

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