Nirmal  
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Joined 4 April 2018


Joined 4 April 2018
23 JAN 2023 AT 10:05

जरूरी नहीं की हर साया उजालों में ही दिखे,
मैने सर पर मां–बाप और स्वजनों के साये अंधेरों में भी देखे हैं।

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23 NOV 2022 AT 21:15

बड़ी से बड़ी ठोकरें भी रोक नहीं सकती कदमों को,
जब मोहब्बत मंजिल से हो।

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15 AUG 2022 AT 0:01

कई वीरो ने है अपना रक्त वतन पर बहाया,
तब जाकर हमने आजादी का पर्व यह मनाया।
कई झूल गए फांसी पर,
कईयों ने खाई थी गोलियां,
शव भी ना पहुंचे घर तक,
इस कदर था विदेशियों ने कोहराम मचा दिया।
आज भी वीर खड़े है मरूभूमि पर, पर्वत पर, समंदर पर...
इस लिए लहराता है तिरंगा शान से हर एक सरहद पर।
मुस्कुरा रही माँ भारती, पूरा हिंदुस्तान हैं हरखाया,
क्या है भारत और भारतीयता आज पूरे विश्व को है बतलाया।
श्रावण मास चल रहा, हर हर महादेव है गूंजाया,
नीर, भूमि, आसमान....
हर घर है तिरंगा फहराया।।

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9 AUG 2022 AT 22:59

A true leader is one who never becomes a slave of any political party and remains always loyal to people.

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17 JUL 2022 AT 14:32

ना कोई पार्टी,ना संगठन, नाही तन पर वर्दी या खाकी है,
माँ भारती की राष्ट्रवादी संतान हूं बस यही मेरे लिए काफी है।

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16 JUN 2022 AT 20:46

किसीको पाने की चाह में,
अपनी राह ना बदल तू।

लोगो के सुनके ताने,
खुद से कीए वादे ना बदल तू।

आसमान भी है, जमीं भी है, दौड़, उड़...

मुश्किलों का सैलाब देख,
बार-बार अपने किनारे ना बदल तू।

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8 MAY 2022 AT 22:06

जो दूर गए, वो छूट गए।
जो पास है, वो आज भी खास है।।

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14 FEB 2022 AT 1:29

माँ तेरा शीश ऊंचा उन वीर सपूतों से है,
अपने प्राण वतन पर जो न्योछावर कर देते है।

जो हंसकर लिपट जाते है तिरंगे में,
निर कहे तुमसे बड़े आशिक तो वो है।

आप कीजिए प्यार अपने महबूब से
हमें तो प्यार अपने वतन से है।।
🇮🇳

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9 MAY 2021 AT 23:48

जिंदगी में जब भी कही भटक जाता हूं
या किसी मोड़ पर अटक जाता हूं,
तब सुकून की तलाश में, हे "विश्वेश्वर" तेरी शरण में चला आता हूं।
जब किसी उलझन में उलझ जाता हूं
जब खुद को मोहमाया में बंधा हुआ पाता हूं,
तब स्वयं की खोज में, हे "महेश्वर" मैं निकल पडता हूं।
जब नही मिलता जवाब मेरे किसी भी प्रश्न का
या किसी से विमुख हो जाता हूं,
तब "महाकाल" सिर्फ तुझ पर ही आस रखता हूं।
जानता हूं नही कोई मोल ईस तेरी कलियुगी दुनिया में मेरा,
फिर भी "नीलकंठ" मैं पकड़े रखता हूं हाथ तेरा।
तू ही भूत है, तू ही भविष्य, बस तुझमे खोया रहता हूं
जब भी लड़खड़ाता हूं विकट पथ पर "माँ" और "महादेव" से चलता रहता हूं।
जब मायूस हो जाता हूं या चोटिल होती है मासुमियत मेरी,
तब निर्मल मन से अपने भीतर सिर्फ तुझको ढूंढता रहता हूं।
जब होता है महाभारत मेरे मन मस्तिष्क में या रामायण मेरी धड़कनों में
समाधान केवल मैं "शंकरा" तुझमें ही पाता हूं।
ना ही हूं मैं "अंजनेय" और ना ही मैं "यक्ष" हूं,
किंतु "जटाधर" आखिर में, मैं भी तो तेरा ही अंश हूं।
ना सम्मान का मोह, ना ही अपमान का भय
जब से जाना है "ॐ नमः शिवाय" तब से हो चुका हूं "शिवमय"।
धैर्य, ज्ञान और समर्पण की मूर्ति है तू "भोलेनाथ"
मैं तन, मन, धन से तुम्हे कोटि कोटि नमन करता हूं।

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4 APR 2021 AT 18:42

Don’t be afraid if people try to put you, your courage and your dreams down. Stand up again and again with the strongest mind, heart and more power and punch on their faces by your greatest success ever.

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