जब भी विनाश होने का
प्रारंभ होता है,
शुरुआत वाणी के संयम
खोने से होती है.!
स्वामी नीरआनंद-
आपके पास कितने सारे हैं.
उससे कोई फर्क नहीं पड़ता !
काम कितने आएंगे यह महत्वपूर्ण है.
"स्वामी नीरआनंद"
-
समय बहरा होता है,
वह कभी किसी की नहीं सुनता,
लेकिन वह अंधा नहीं होता,
देखता सब कुछ है ..
"स्वामी नीरआनंद"-
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते
रमंते तत्र देवताः।
यत्र तास्तु न पूज्यंते
तत्र सर्वाफलक्रियाः ॥
"स्वामी नीरआनंद"-
"हस्तस्य भूषणं दानं
सत्यं कण्ठस्य भूषणम्" ।
"श्रोत्रस्य भूषणं शास्त्रं
भूषणैः किं प्रयोजनम्"॥
स्वामी नीरआनंद
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विद्यां ददाति विनयं
विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति
धनात् धर्मं ततः सुखम्।।
स्वामी नीरआनंद-
कुछ रिस्तों से इंसान अच्छा लगता है,
कुछ इंसानों से रिश्ता अच्छा लगता है..-
मानव कहता बहुत है
पर करता बहुत कम है।
वह दुसरो को सिखाने
तथा सुनाने के लिए
जितना उत्सुक रहता है,
उतना स्वयं सीखने और
सुनने के लिए नहीं।-
समाप्त होते वर्ष में,
मेरे मन कर्म और वाणी से
यदि किसी को भी ठेस लगीं हो
तो मैं ह्रदय से क्षमा प्रार्थी हूं....
In the year ending,
From my mind, deed and speech,
If anyone has been hurt
then I sincerely apologize.-