मेरी गलतियां तो ज़माने में उजागर हैं,
फ़िक्र तो वो करें जिनके गुनाह पर्दे में हैं।-
न जाने कितनी कहानियां होंगी उसके पास,
वो शख्स, जो किसी से कुछ नहीं कहता।-
अच्छा सूनो तुम भी चली जाओगी क्या,
अच्छा जाओगी तो कहां जाओगी??
अरे वो मन में संदेह हो रहा कि तुम भी चली जाओगी,
अच्छा सच बताओ तुम भी चली जाओगी क्या??
अच्छा अब क्या करेंगे हम,
नहीं पता न....
कोई समस्या नहीं मैं बताता हूं..
हम से 'तुम' और 'मैं' होंगे,
तुम चली तो जाओगी मगर,
मगर मैं वहीं स्थिर रहुंगा,
स्थिर रहुंगा तुम्हारे लिए,
स्थिर रहुंगा साथ पाने के लिए,
स्थिर रहुंगा साथ चलने के लिए,
स्थिर रहुंगा चाय की कुल्हड़ पकड़ने के लिए,
स्थिर रहुंगा आपकी बेबाकी सुनने के लिए,
स्थिर रहुंगा बिते हुए पल को साथ जीने के लिए।
मगर तुम तो जा रही हो न,
और तो और सायद तब तक जा चुकी होगी।
जा चुकी होंगी वहां जहां जा के आना सायद नागवार गुजरे,
अच्छा सच बताओ तुम भी चली जाओगी क्या??-
क्या ओर कितना लिखे, दिल के अहसासों को।
जिंदगी भरी हुई हैं, अनकहे अल्फाजों से।-
मेरी शक्ल पर मेरे हौंसले नज़र नहीं आते,
मेरी हरकतों पे भी गौर कर के देखो।-
है अभी अंधकार बड़ा,
गुमनाम है जिसमें नाम मेरा।
रोशनी की चाह है मुझे,
इसलिए दर-दर भटक रहा है मन मेरा।
पर चल रहा हूं उस राह पर,
जिस राह से मैं अनजान हूं।
है बड़े सपने इन आंखों में,
पर खुली आंखों के सामने है अंधकार बड़ा...।
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एक अर्से बाद उनके करीब से गुज़रे,
जो न संभलते तो गुज़र ही जाते।
6:25pm 11june-
तन्हा रोने से क्या होगा,
किसी का होने से क्या होगा।
मैं परेशान हूं मुझे एक बात बताओ,
फिर से मिलन होगा तो क्या होगा।
कभी सोचता था रिश्ते से दोस्ती पे आने पे क्या होगा,
अब सोचता हूं फिर से रिश्ते में लौट आने पे क्या होगा।
जो तुम बिछड़ गई Quarantine के दिन,
अब बताओ मेरा बाकी के दिन में क्या होगा।-
ऐसा मत सोचो तुम्हारे बिना खुश हूं मैं,
मेरी भी हर शाम तन्हा गुजरती है।-
बैठ के उसके नाम का कोई खत ही लिखिए,
रात को यूं ही जगते रहना ठीक नहीं।-