रोड़े अटकाती हैं दूरियाँ वक़्त-बेवक़्त प्यार की चाह में,
साबित होती हैं दूरियाँ अक्सर दुश्मन, इश्क़ की राह में..
बिन बताये जाना यार का, फ़ंसाना है गोया मुसीबत में,
अकेलापन बना जाता है फिर बेसहारा, इश्क़ की राह में..
जीने की कोशिशें, सिमट जाती हैं उम्मीद के दामन में,
बिखरे ख़्वाब की कतार सी बनती है इश्क़ की राह में..
यादों की धुंधली तस्वीर, साफ़ न होती इश्क़ की राह में..
आईना जैसे नक्शे-पा हो, अक्स ढूँढता इश़्क की राह में..
जाना दूर जानां का चुभोता हैं ख़ूब नश्तर, कोरी बाह में,
नाकाम कोशिश है निकालने की खार, इश़्क की राह में..
दिन लगते सारे ही भारी, न जाने हर वक़्त ही माह में,
वक़्त का तकाज़ा, भारीपन थमा जाता इश्क़ की राह में..
खुशियों की ललक, देर न लगती, कब बदलेगी आह में..
फूँक कर कदम रखना बेहतर ऐ "नीर", इश्क़ की राह में..
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