"कभी कभी सोचती हु
मुझे भगवानने मज़े करने'
भेजा हैं यहाँ, पर में'
उन लोगो का क्या करू,
जिन्हें मुझसे उम्मीदें बोहोत हैं।-
"हमारी तकलीफो को यूँह नज़रअंदाज'
करके, तुमने गलतफहमियां जो बढ़ाई है,
ओर खुदके लिए परेशानियां'
हम सिर्फ इतना चाहते हैं की,
सहाय न सही नज़रअंदाज़गी के'
आलावा राहत के दो हर्फ़ हि बोला करे।-
"वफ़ा-ए-खता" की ख़्वाहिस'
बस' इतनी की..
मेने यार मे यार को देखा
बस' यार मे कुछ नही देखा।-
"ऐक हद वाला प्यार
अब बेहद हो गया हैं,
देखु मे खुद को जब'
नज़र से मेरी मुझे,
तुम हि नज़र आने लगे हो।-
कहा मेने उसे की आजकल
तबियत बिगड़ी सी रहती हैं,
उसने कहा ओर कुछ नही बस'
ताल्लुक बढ़े हैं तेरे जाने-आने के,
बुरी नज़रे लग रही हैं औरों की'
आके सदका उतार जाऊं तुम्हारा।-
जरूरी नहीं की कोई हसीं'
नज़ारे.. हमे आंखे भर'
देखने को नसीब हो,
कभी कभी कोई नज़ारो की'
एक झलक ही क़ाफी होती है।-
उसे लगता है की'
मेरे काफ़ी सारे यार है,
उस पगलु को कोंन बताये'
वोह सब तोह कहने के यार है,
मेरे दिल के करीब एक तुही हैं।-
કહેવુ કઈ રીતે કે..આ'
ઊંડી "અનુભૂતિની"
વાત છે' સમજાય જો'
જોઈ ને તમને પણ,
તોહ માનીયે કોઈ વાત છે.-
जब तुम्हे ऑंखे भर देखा
तोह लगा पुरी क़ायनात ही,
तुम मे' हे, सायद इसीलिए'
हम तुम्हारे साथ होते है तब'
पुरी क़ायनात को
भूल जाया करते है।-