तुम इतनी सुंदर हो
नदी ,झील , पर्वत , पठार
मगर मेरे लिए समुंदर हो
जग में ढूंढा है मैने तुमको
तुम तो आखिर मेरे अंदर हो
सब कुछ हार के तुमको जीता
अरे , तुम मेरे लिए सिकंदर हो
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# Surat, Gujrat
Instagram :- niraj_tripathinir
मैं सफ़र में था मेरा सफ़र खतम हो गया
तुम से जो फासला था अब और कम हो गया
मेरे शहर से तेरे शहर की दूरी बहुत तो है
हमारे दिलों की जो दूरी थी अब वो कुछ कम हो गया
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मैं तुमसे नज़रे मिलना चाहता था
मगर मैंने तो तुमसे नजरे चुराई
मैं तुमसे प्रेम कर सकता था
मगर मैंने तो नफरत फैलाई
मैं चाहता तो देश चला सकता था
किंतु मैंने तो केवल झंडे बनाए
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हर शहर , हर गांव
हर गली , हर घर में
कम से कम
एक कवि या लेखक होना ही चाहिए
जो लोगों को याद दिलाए
हम सब लोकतंत्र के वोटर भर है
और राजा ने कितने वादे किए
और अच्छे दिन अभी कितने दूर है
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कोई रश्क ,कोई नफ़रत , कोई तकरार करता है
हो अगर कोई इश्क में, तो वो प्यार करता है
उसका शहर , उसकी सड़क और उसका मकान
नजर से दूर कितना भी हो गर वो इंसान
अगर वो ईश्क में है , तो वो इंतजार करता है
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मैं गर कॉफी मांगू तो मुझे चाय दे
अगर उलझन में रहू तो तु अपनी राय दे-
शाम सच में भोली है
क्या वह किसी और की हो ली है
मैं पूरी रात रंगा हूं तेरे रंग में
जैसे कल के कल ही होली है
कभी उत्सव नहीं मनाता मैं
पर गिन गिन दीप जलाता मैं
जैसे कल के कल दीवाली है
तु शहर बदल तु डगर बदल
चाहे जितने तु भेष बदल
ए लड़की तु मुझ जैसी ही भोली है
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तुम दीप बनकर , जगत से अंधेरा दूर कर देना
मैं नीर बनकर , जगत के आंसू पी लूंगा-