इस वर्ष यूवा दिवस की थीम
"विकसित युवा –बिकसित भारत" रखा गया हैं,
हम आपने देश को तब तक विकसित नही कर सकते
जब तक देश के युवा विकसित न हो जाएl
आजकल युवाओं को
स्वामी विवेकानंद के सिद्धांत भाते जरूर हैं परंतु,
उनके जीवन में इन सिद्धांतों का
कोई खास असर नहीं दिख रहा है,
लेकिन हमे उम्मीद है कि स्थिति धीरे-धीरे हीं सही परन्तु
अवश्य बदलेगी।
जारी रहेगा…-
"Sometimes you don’t realize the value of a moment until it beco... read more
तेरे ज़िंदगी में, मेरा किरदार अलग है,
सबके जैसा नहीं, ये प्यार अलग है,
मैने कब कहा कि तू भी,
मोहब्बत में किसी और से स्पर्धा रख,
बाकी सब अलग है, तेरी बात अलग है,
और तुझे पाने की होड़ में,
जिस, जिसने भी जान हथेली पर रखी है उनसे कहो,
उनके तोहफे अलग है, मेरी दी पाजेब अलग है,
शायद लोगों का कहना भी,
ठीक ही होगा तेरे बारे में,
पर तेरे लिए औरों का ख्याल अलग है, मेरे विचार अलग है,
और क्या कुछ नहीं लिखा–पढ़ा है,
सबने तेरे हुस्न की नुमाइश में,
तुझ पर मेरी ये कविता अलग है, मेरे गज़ल अलग है,
हां! मैं तुझे जीतूं या हार जाऊं,
ये प्रतिबंध–उपबंध तो ठीक है लेकिन,
मेरे मोहब्बत की कहानी में,
और क़िरदार अलग है, तेरा किरदार अलग है।।😊।।-
तुम्हारे जाने के बाद, हर रात नाचूंगा मैं,
जिस रात तुम्हारी, बारात में नाचूंगा मैं,
अगर कोई पूछेगा की उसके जाने पर आंखों में,
तेरे आंसू क्यू नही,
हस कर कह दूंगा उनसे,
मेरे महबूब की शादी है, मैं नाचूं क्यू नही,
लोग भला बुरा चाहे जो भी कहे,
एक ही निवाला सही शादी में तेरे,
मैं खाऊंगा ज़रूर,
तुम्हारी शादी का बुलावा है,
मैं आऊंगा जरूर!! 😊!!
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जब तुझे मेरा पूर्णतः होना ही नही था,
फिर मुझको अपनाना, जरूरी था क्या?
जाना तेरा पहले ही मुकर्रर था,
जाते वक्त वो बहाना, जरूरी था क्या?
मैं तो अपने आसतीन से,
अपना आंसू पोंछ लिया करता था,
मेरी तरफ अपना दुप्पटा सरकाना, जरूरी था क्या?
सुप्ती ना आती मुझे, ना सही,
तेरा मेरे सर पर हाथ लगाना, जरूरी था क्या?
और तुझे मालूम था ना,
तेरे वैगैर मैं अपूर्ण—आधा ही रह जाऊंगा,
बस इतना बता तेरा जाना, जरूरी था क्या?
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ये पाना और खोना क्या है,
जो मिला ही नहीं, उसको संजोना क्या है,
जब सब कुछ पहले ही निहित है,
फिर आगे अब और होना क्या है,
अगर तूने खो दिया,
फिर पाया ही क्या था,
तनिक भी पा लिया,
तूने फिर खोया ही क्या था,
खोना पाना, पाना और फिर खोना,
इन बातों में उलझ गए अगर,
फिर इस बेवजह जीवन का होना क्या है,
चल तू भी दूर निकल चल,
वही उसी बात पर, हरबार रोना क्या है,
उस बात के आगे भी,
बहोत कुछ बाकी है जीवन में,
व्यर्थ में आंखे मूंद कर सोना क्या है।।❣️।।
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चल छोड़ ना, जाने दे,
अब सारे झूठे किस्सों को,
खतम करते है,
तू ऐसे ही सानद रह उसके पास,
अपने सब कुछ से स्वच्छंद तुझे,
हम करते है,
मेरा क्या है तुझमें, कुछ भी तो नहीं रह गया,
तुझे याद करना भी हम तनिक,
कम करते है,
तेरे बदले बदले इस नए भाव ने,
बयां कर दिया सब कुछ ही,
फिर बेमतलब क्यू हम अपनी आंखे,
नम करते है,
और अब नहीं रखना मुझे,
बेफिजूल के रिश्ते तुझसे,
आज हम भी ये,
एलान–ए–कलम कहते है।।💔।।
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मतलब से मतलब रखें,
तू इतनी मतलबी नहीं लगती,
ये दुनिया जैसी है,
तू वैसी नहीं लगती,
मिलकर बिछड़ने का,
दस्तूर है ज़िंदगी में, माना मैने,
सफर में तन्हा कर जाएगी,
तू ऐसी नहीं लगती,
और, महज़ बातों से,
इश्क़ और वफा, सभी जताते है,
मगर तू बातों से तो,
सबके जैसी नहीं लगती।।🥺।।
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मैंने कई बार कोशिश की, फ़िर से इश्क़ करने की,
पर हर बार मुझे, सिर्फ तुम्हीं से इश्क़ हुआ!!
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आज कल यारियां भी बस,
मतलब से रहती है,
ज़ुबान से ज्यादा तो अब,
आंखे बोला करती है,
और तमाम खुशियां लूटा कर समझ आया,
मां सच ही कहती है,
तारीफों के पुल के नीचे बस,
मतलब की नदियां बहती है।।
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