Ninaad S  
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Joined 3 August 2021


Joined 3 August 2021
1 MAY AT 6:47

जिस्म ने लिया था नाम इलज़ाम होठो को मढ़ गया
खुद अपनी ही बुदबुदाहट में अतीत सुन कर अकड़ गया

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29 APR AT 10:29

Would you touch my instrument,
you would find my cadence,
I Would go intoxicating ,
if you can play with my sense

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29 APR AT 8:57

वो खत लिख रहा था लबों से
उसके तपते हुए सफे पर
कलम को भी शोरिश बहुत थी
खुशफहमियाँ भी थी इसी दफे पर
एहसास जल्दी में थे जोश के
बता पाते कि दस्तख़त चढ़ गए थे
सफे ने खुद ही उकेरे मुकम्मल तक
हर्फ़, बाद , जो अधूरे पड़ गए थे

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28 APR AT 20:51

एक वक्त था, आँखों आँखों में
हम दिल को खींचा करते थे
उठती थी निगाहें, पलकों को
हौले से नीचा करते थे
कहते कुछ ना थे ,पर सब बातों में हम
आँखे मीचा करते थे
समीप ना थे, पर दूर से ही
हम आहें सींचा करते थे

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28 APR AT 20:27

Her smell
not only fills the nose
with intoxication,
it also makes the tounge
crave equally.
The nose definitely indicates
the origin of the smell.
But tounge scratches the source
through its touches.

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28 APR AT 16:37

लवण गंध केवल
नासिका ही को ही मादकता से नहीं भरती है
वो रसिका को भी उतना लालायित करती है
नासिका गंध का उद्गम अवश्य इंगित करती है
लेकिन रसिका स्पर्श से स्रोत पर उकरती है

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28 APR AT 11:04

रात , संवाद भी उगाओ , रखो भिगोने के लिए
जिस्म को सिर्फ जिस्म नहीं चाहिए सोने के लिए

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28 APR AT 7:27

कभी कभी जो मोहताज़ कर देते हो तुम मुझे
मैं समझता रहा मोहब्बत इसी का नाम है

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27 APR AT 23:03

खूबसूरती जिस्म में मैंने पायी है
वो राय उसकी आँखों ने बनायी है
बहाना है कि वो इस खूबसूरती को पाना चाहता है
कहता नहीं है जिस्म की तहो में जाना चाहता है

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27 APR AT 19:57

पारगमन पुनः परम तक ,
पुनरावृत्ति निःशेष है
उसी योनि में जिजीविषा ,
जन्म मरण अभी शेष है

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