तुम ने ख़ामोश रहने की हिदायत क्या दी
ढँक दिया हैं मेरे आवाज को एक ख़ामोशी ने-
इश्क़ की चाशनी और मीठी होकर जर्रे-जर्रे म... read more
गिलहरी थी मैं जो पेड़ पर घंटों
उछल कूद करती जिसकी जड़ों ने
मुझे तुम्हारे हृदय तक पहुंचाया
तुम्हारे वियोग के पश्चात् प्रकृति के
नैसर्गिक सौंदर्य के बीच
लाख कोशिशो के बाद भी उस कविता रूपी
पेड़ पर नहीं बैठ पायी
विरह से मानो मेरे भाव विलुप्त,शब्द
प्राणहीन और भाषा विलुप्तप्राय हो गए
तुम्हारी चिर स्मृतियों से अब
टिटहरी बनी फिरती हूँ !!-
"लफ़्ज़ों की खनक में तुम हो लबों की रुसवाई में भी तुम हो
महफ़िल की रौनक में तुम हो साँसों की तन्हाई में भी तुम हो
नदी सा बावफ़ा हैं मेरा दिल और तुम एक समंदर हो
चाहत की सतह में तुम हो दिल की गहराई में भी तुम हो "
निमिशा कुर्रे-
रफ़्ता रफ़्ता yq मेरे हस्ती का सामां हो गए
पहले जाँ फिर जानेंजा फिर जानेजाना हो गए
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एक ग़ज़ल मेरी नज़र से सुनिए
तारीफ़ अपनी इस ख़बर से सुनिए
यादों कि ज़ागीर में रहते हैं आप
मेरी दुआओं के असर से सुनिए
ख़लिश हैं दिल में बिन आपके
मद्धम चाँदनी के सफ़र से सुनिए
नवाजिश कि महक हैं गुमसुम
ग़ज़ल के लड़खड़ाते बहर से सुनिए
आपकी कलाम पढ़ने मुन्तज़िर हूँ
उम्मीद की गुल्लक में सिफ़र से सुनिए
सफ़र के सफ़ीने को चाहत हैं आपकी
सागर में कैद इस गुहर से सुनिए
लफ़्ज़ों कि शिद्दत ने बुलाया हैं आपको
आप जहाँ भी हो उस नगर से सुनिए
निमिशा कुर्रे
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चमक आँखों कि सितारे लौटाने लगे हैं
होंठ तब्बस्सुम चेहरे पर खिलाने लगे हैं
क्या खूब थी साजिश ज़माने कि देखिये
मचलते भंवर मुझसे अब दूर जाने लगे हैं
झील में प्यार सूख चुका शायद इसलिए
मेरे प्रीत के कँवल भी कुम्हलाने लगे हैं
मंज़र शबाब का कुछ ऐसे भी गुज़रा कि
गूँगे होकर दर्द मेरे तराने गुनगुनाने लगे हैं
आग दहकने लगी हैं यहाँ सीने में हमारे
और वो बारिश में अलाव जलाने लगे हैं
अभी-अभी अंडो से निकले चूज़े हमें
सलीका जिंदगी जीने का सिखाने लगे हैं
शब्द लेकर जन्म तल्खियों कों मिटाने
मन में चीख-चीखकर छटपटाने लगे हैं
तमाम बंदिशों से होकर परे हम "निमिशा "
अश्क़ को कागज़ कि गोद में बहाने लगे हैं
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एक प्याला भी अश्क़ का पीया नहीं जाता
शक कि सिलवट पर वफ़ा बिछाया नहीं जाता
उसकी चाहत में हमें क्या से क्या हो गए
खुशी जलाई नहीं जाती ग़म बुझाया नहीं जाता
निमिशा कुर्रे-
सुहागन रातें दर्द कुँवारा देती हैं
हवाएँ भी रूककर किनारा देती हैं
शेर जब-जब तुझे याद करते हैं
तब मुझे शायरी सहारा देती हैं
निमिशा कुर्रे-