काफ़िला चलता रहा लोग जुड़ते रहे,
फिर बदले जो रास्ते,वो बिछड़ते रहे।
किस किस को संभाले अपनी कश्ती में यारों,
हम तो अपनी ही कश्ती में बैठे डूबने से डरते रहे।।-
जब तेरे जाने के गमों में खुद को गवा रहे थे हम।
तू आएगा जरूर एक दिन के झूट से खुद को बहला रहे थे हम।
के जब कम हुआ मेरे इश्क का असर तुझ पर से।
हमने ही जताया नही होगा महोबत सही से
कह कर खुद को गुनेहगार बाता रहे थे हम।।-
हमने जैसा समझा,
वो शायद वैसा नही था।
मोहब्बत वो भी करता था,
जताता हम सा नही था।।-
मोहब्बत उनकी हमसे रूठी थी।
सब ने चखा था शायद ,झूठी थी।।
सच कहे तो वो बात नही थी।
उनकी किसी एक से मोहब्बत करने वाली जात नही थी।।
-
के तू समुंद्र , मैं नदी थी।
तू समुंद्र , मैं नदी थी।
मैं बस तेरी।
और तुझमें जाने कितनी नदियां बसी थी।।-
हमारी शायरी में उसकी बहुत बात हुई।
उसने दिल तोड़ा फिर भी बात उसकी हर रात हुई।
के महफिल में लोग प्यार में डूबे थे।
और हमारी हर बार मोहब्बत से बस मुलाकात हुई।।-
,
कि हम कुछ पल साथ ना हो।
राहें इतनी भी जुदा नहीं हमारी,
कि मुलाकात ना हो।
और अनजान इतने भी नहीं,
के मिल कर दो पल बात ना हो।।-
उसके
वहां हमारा अक्सर आना-जाना है।।
हमने तो घर बाना लिए था वहां।
मगर पता लगा ये उनका सिर्फ दिल बहलाना है।।
हमें मोहब्बत हुई थी।
और उनकी आदत यूँ ही दिल लगाना है।।
-
बाना लो।।
चिनी नहीं पसंद इतनी तो
फीकी ही आजमा लो।
के उसका गुस्सा भी चाय की तरह है
ठंडा हो जाएगा।
तुम बस एक बार माना लो।।
-Nimisha-
हम टकराएं न कभी,
वो हमें देखे पर मुस्कुराएं न कभी,
क्यूकी अबकी जो खोए उनके प्यार में
हम तो खुद को भूल जाएंगे,
और पुराने ज़ख्म भरे नहीं अभी,
फिर से कैसे अपनाएंगे।।-