सूर्य आप के कितने ही रूप,
परम् शक्ति के दृढ़ रूप को,
यूँ चलाया करते हो,
हर एक प्रश्न के उत्तर को,
आप यूँ समझाया करते हो,
आप शक्ति के विस्तार रूप,
हो कालखंड के अनंत रूप,
अपार बुद्धि के रूप आप,
यूँ सब मे बस कर,
ज्योति जगाया करते हो,
आप सत्य सम्हाला करते हो,
खुद को जलाकर सबको,
सुख पहुचाया करते हो,
मैं भी हूँ आप की ही तरह,
खुद को रमाकर शंख सा,
मैं हर पल खुद में मरता हूँ,
बस आप की ध्वनि ओम को सुन,
फिर स्फूर्ति ले आया करता हूँ,
हे शक्ति पुंज,हे सूर्य रूप,हे शक्ति अनंत,
आप मुझमे भी समा जाना,
और फिर दे जाना मुझे अपनी भक्ति अनंत ।
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