Nilesh R Bhoi   (अदीब)
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Joined 11 September 2017


Joined 11 September 2017
5 AUG 2023 AT 20:33

रंग सारे हो जाते एक जिश्त की रगबत क्या रंग लाती
क्या सुर्ख क्या जर्द जाने फिर मोहब्बत क्या रंग लाती

के रंग के वजूद पे ना होते फिर से हात लाल
सब का एक रंग होता इबादत क्या रंग लाती

दिन और रात का भेद भी मिट जाता ऐसे में
फिर ये वक्त, वक्त से जुड़ी आदत क्या रंग लाती

ना सोचता कोई प्यार का अंजाम क्या होगा
फिर जाने ये बेखौफ सी चाहत क्या रंग लाती

के हो जाते रंग ओ रूप सभी के एक से अगर
फिर कौनसा भेद करते सियासत क्या रंग लाती

रंग एक होने से क्या एक हो जाते नोट सभी?
फिर जाने ये शोहरत ये गुरबत क्या रंग लाती

पर शायद ये दोष बस रंगो का नही है अदीब
एक रंग होके भी इंसानी फितरत क्या रंग लाती

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14 APR 2023 AT 10:32

तुम रात को आना मैं महताब बन जाऊंगा
समेट के तुझे पन्नों में किताब बन जाऊंगा

यूं तो शब ए इंतजार का हिसाब है मेरे पास
तुम फुरसत से आना मैं बेहिसाब बन जाऊंगा

अनकही सी तकलीफे मेरी तुम जान लेते हो
तेरे कुछ सवालों का मैं भी जवाब बन जाऊंगा

बाते अक्सर कम ही होती है महफिलों में
अकेलेपनमें अनकहे जज़्बात बन जाऊंगा

भूल जाओगे मुझे फिर भी कभी यूं याद करोगे
पुराने पन्नों में लिपटा सूखा गुलाब बन जाऊंगा

तेरे इश्क को बूंद बूंद तरसा हुं मैं जाना
वक्त आने पर मैं भी सैलाब बन जानूंगा

तरकीबे बहुत सुनी है मंजिले पाने की अदीब
गर हमराह वैसा हो मैं यूंही कामयाब बन जाऊंगा

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25 DEC 2022 AT 20:26

जिससे प्यार था तुम्हें, वो तुम ही थे
के मुझमें मुझे ज्यादा तो तुम ही थे

तुम ही थे कभी हर सांस में बसे हुए
मेरा जिंदगी से वादा तो तुम ही थे

मुरादे मेरी बयां कैसे होती कही और
मेरे लिए मेरा खुदा तो तुम ही थे

रात का वो चांद अधूरा सा लगता है
आधा आसमां में, आधा तो तुम ही थे

होठों से लगी मुरली में सुर कैसे आते
मुरलीधर कोई हो, राधा तो तुम ही थे

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13 NOV 2022 AT 21:03

आज तुम हो और मैं भी पर वो बात नहीं
चांद भी है आसमां में पर वो चांदनी रात नहीं

सुख चुका है शायद पलकों पे रक्खा इश्क
आंखे तरसती है आज भी पर वो बरसात नहीं

संभाल के रखा है अभी भी वो सुखा गुलाब
बस चंद एहसास बचे है पर वो जज़्बात नहीं

शायद मायने भी बदल जाते है समय के साथ
हाथ में हाथ है तुम्हारा पर वो मुलाकात नहीं

वक्त के सैलाब में उल्फत भी मानो डूब गई
आज तुम हो और मैं भी पर वो हालात नहीं

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12 NOV 2022 AT 23:19

दिल ही तो लगाया है उससे, वो खुदा थोड़ी ना है
दर्द तो दर्द होता है, इश्क का दर्द जुदा थोड़ी ना है

कौन कहता है अकेला रहता हूं मैं तेरे बिना
तन्हाई साथ है मेरे, दिल तन्हा थोड़ी ना है

मत डरना इस बादल से, ये न तुझे भीगाएगा
बस गरज रहा है कब से, बरसा थोड़ी ना है

वक्त आने पर वो सुन लेगा तुम्हारी फरियाद
यूं ना चिल्ला सवाली, खुदा बेहरा थोड़ी ना है

जो किए है गुनाह तूने, एक दिन सजा पाएगा
देख रहा तुझे भगवान है, मां थोड़ी ना है

मायने और भी है इस जिंदगी के अदीब
बस सांसे चल रही है तेरी, ये जीना थोड़ी ना है

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11 NOV 2022 AT 19:59

बड़ा अजीब मंजर है, बड़े दिनों बाद आया है
भुलाना चाहता था जिसे, उसे मेरा नाम याद आया है

कुछ तो होगा मकसद उसका, बेवजह कौन आता है
मैं मान लूंगा, बताए कौनसी लेके फरियाद आया है

वो आया है फिर से तोड़ने, या टुकड़े समेटने आया है
देगा फिर सजा या कैद से मुझे करने आजाद आया है

सुख की छाव मिली है जो, गम के बादल की देन है
जो खड़ा है दर पे मेरे क्या पता होके बर्बाद आया है

मैं अपना लूंगा उसे वो जिस हाल में मिल जाए मुझे
पर क्या उसे मेरा साथ अकेला होने पे याद आया है

सुबह की धुंध लाया है या साथ है उसके रात का धुआं
जगा के मन में नई आस क्या उम्मीद तोड़ने आया है

चलो जैसे भी आया हो, अब मेरा बनके रह जाए बस
कल ना कहना कोई भुला बिसरा फिर याद आया है

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10 NOV 2022 AT 23:48

मैं मुस्कुराता हूं हर पल, तुम कहते हो अदाकारी है
ये कोई हुनर नही है मेरा, बस जिंदगी से वफादारी है

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9 NOV 2022 AT 18:35

मैं ढूंढ रहा हूं एक आवाज जो मेरे जैसी हो

जरा शोर में घिरी हुई, जरा खामोशी में दबी हुई हो
जरा सी रूखी भी और जरा आंसू में डूबी हुई हो
मैं ढूंढ रहा हूं एक आवाज जो मेरे जैसी हो

बयां होती है रोज फिर भी अनसुनी सी हो
सूखे रेगिस्तान में छिपी एक नमी सी हो
मैं ढूंढ रहा हूं एक आवाज जो मेरे जैसी हो

असलियत में अक्सर बनावटी भी हो
सुनने वालों को खुशी दिलाती भी हो
मैं ढूंढ रहा हूं एक आवाज जो मेरे जैसी हो

अरमां कुछ ऐसे जो दिल में ही रह जाते हो
बयां हो ऐसे जो दिल को धोखा दे जाते हो
मैं ढूंढ रहा हूं एक आवाज जो मेरे जैसी हो

आवाज जो अब दिल में गुम हो गई हो
खुद के ही शोर से मानो चुप हो गई हो
मैं ढूंढ रहा हूं एक आवाज जो मेरे जैसी हो

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8 NOV 2022 AT 9:55

मेरे लिए ही सही, मेरे बिना ही सही, तुम बदल जाना
लाख रोक अतीत तुम्हे, रुकना नही, तुम बदल जाना

तुम बदल जाना के जीवन का नियम ही है बदलना
वक्त, मौसम, जमाने के साथ ही सही, तुम बदल जाना

क्या रखा है यादों में, बीते पलों का अक्स ही तो है
वक्त आ गया है, सब छोड़ के यही, तुम बदल जाना

पहचान भुला देना मेरी गर किसी मोड़ पे मिल भी गए
कह देना "तुम्हे पहले कभी देखा नहीं", तुम बदल जाना

बदल रहे रास्ते, बदल रहे रिश्ते, बदल रहे है किस्से
बावजूद इसके शायद मैं बदलूंगा नही, तुम बदल जाना

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18 AUG 2022 AT 23:11

बस यूंही चांद को निहारना हो, तब आना
बेवजह बस वक्त गुजारना हो, तब आना

भूल जाते हो यूं तो रोज की भाग दौड़ में
बिखरी जुल्फे को संवारना हो, तब आना

एक उम्र ढल चुकी है रिवायते जानने में
जब न कोई शर्त न बहाना हो, तब आना

महफिल में भीड़ बहुत है चाहनेवालो की
जब हर शक्स लगता बेगाना हो, तब आना

आए थे पहले भी, इस बार वैसे मत आना
जब वापस कभी न जाना हो, तब आना

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