तोडुनिया बेड्या गुलामीच्या
त्याने माणूस बनवून दाखवलं,
घोटभर पाण्यासाठी मरणाऱ्यांना
पाणी चवदार महाडंच चाखवलं।
पाण्यासाठी सत्याग्रह करणारा
भीम एकटा महामानव ठरला,
ते पाणी सुद्धा पेटून उठलं
ज्याला स्पर्श भीमाने केला।
महाडंच तळ क्रांतिक्षेत्र झालं
महाडचा सत्याग्रह क्रांतिदिन झाला,
झुगारून बंध जातियतेचे
समाजाला जन्म नवीन दिला।
२० मार्च महाड चवदार तळे सत्याग्रह दिनानिमित्त मंगलमय सदिच्छा.
🕯️💐🙇❤️-
मतलबी दुनियां में
बेमतलब ज़िंदा हुँ,
सबको खुश देखना चाहता था
पर अब इसी बात से शर्मिंदा हुँ।
खामखाँ दखल देता हूं दूसरों की ज़िंदगी में
मैं थोडासा बेअक्ल थोडा चूतियासा बंदा हुँ।-
तुलाच वाहायच्यात तुझ्या अस्तित्वाच्या पखाली
बंदीवासाच्या तिमिरातुनी पेटव तुझ्या स्वाभिमानाच्या मशाली।
तूच घडवं तुझी किर्ती तूच लिह गाथा यशाची
रणरागिणी तू वाघीण भिमाची तुला माय भीती ना कशाची।
तूच जननी तूच गृहिणी भविष्याची निर्माती ही तूच माय
तुझ्याच डोई डोलारा सारा तरी स्वर्ग भासती तुझेच पाय।-
कुछ नम है आँखे तुम्हें याद करके
होठों ने तो जैसे हँसना खो दिया,
कुछ खुशमिज़ाज थे हम भी कभी
अब तो छुप छुप के हमनें रो दिया-
ए नासमझ दिल
तुझे पहले ही किसीके हाथों टूटने का सिला मिला है;
पर न जाने क्यों तू फिर मोहोब्बत करने चला है?
निलेश सावित्री मनोहर-
कई दफा उन लम्हों से बातें की है
जिन्हें तुम्हारे साथ बिताए थे,
आज भी उस जगह अक्सर जाता हु
जहाँ हमने कभी सपने सजाये थे।
आज भी याद करता हु तुम्हें
हरपल उतनी ही शिद्दत से,
एक कतरा भी कम नही हुआ चाहत का
तुमसे बेइंतहा प्यार करने की जो आदत है।-
कधी नव्हे ते आजचं कळले
बहाणे तुझ्या जाण्याचे,
क्षणात तुटले अलगद अगदी
नात्याचे धागे ते सोन्याचे।
काठावर येऊन अश्रू थांबले
डोळ्यांची किनार ओली,
प्रेमाचा ठेवा सांडून गेला
होती फाटकी माझी झोळी।
हात रिकामी साथ निकामी
राहिलो पुन्हा एक एकाकी,
मीच माझा पुन्हा उदासीन
सुखाच्या कर्जात घेऊन
विरहाची शिल्लक बाकी।।-
देव नहीं 'दानव' हु मैं
प्रकृति को मानने वाला मानव हु मैं।
विधाता नहीं 'दैत्य' हु मैं
पाखण्ड और अंधविश्वास नही सत्य हु मैं।
ईश्वर नहीं 'राक्षस' हु मैं
अपने लोगों का, जल-जंगल-जमीन का रक्षक हु मैं।
भगवान नहीं 'भुत' हु मैं
इस भारत भूमि का मूल निवासी इसका सपूत हु मैं।
पृथ्वी पर मानवजाती में जन्मा शिक्षक, शिल्पकार, उद्योजक, खिलाड़ी, अभिनेता, वैज्ञानिक, वैद्य, सैनिक इत्यादि हर तरह की मेहनत करनेवाला मेहनतकश और ईमानदार मजदूर हु मैं।
मैं कोई झूठा विश्वनिर्माता, सृजनकर्ता, दैवी अवतार नहीं 'असुर' हु मैं।।-
कई मुद्दतों के बाद मिले है
तुम्हें जरा जी भरकर देख लेने दो,
तुम चाहे भाग लो उन पुरानी यादों से
पर मुझे उन यादों में खोने दो।
बड़ा वक़्त लगा है सवरने में
थोड़ासा ग़ुरूर हमपर भी छाने दो;
तुम भुलादो शौक़ से लम्हें वो बीते
मगर मुझे उन्हीं लम्हों में ज़िन्दगी बिताने दो।-